भागलपुर: पुलिस हिरासत में बहन की बेज्जती से दुखी आईटीबीपी अधिकारी ने उठाया खौफनाक कदम , पूर्व थानेदार पर केस दर्ज

भागलपुर/पटियाला, 05 अक्टूबर 2025: नाथनगर थाना क्षेत्र के पासी टोला में 18 मई को हुई पुलिस छापेमारी अब एक गंभीर विवाद में बदल गई। उस दौरान हिरासत में ली गई महिला के साथ कथित दुर्व्यवहार के चलते उसके भाई और आईटीबीपी के असिस्टेंट कमांडेंट आयुष दीपक (46) ने शुक्रवार को फंदा लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।

आयुष की पोस्टिंग पटियाला में थी। उनके शव की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। पटियाला के जांच अधिकारी थानेदार गुरविंदर सिंह ने बताया कि मृतक के पास से सुसाइड नोट बरामद हुआ है। इसमें आयुष ने अपनी बहन के साथ कथित मारपीट और कपड़े फाड़ने की घटना का जिक्र किया और सीधे तौर पर ललमटिया थाना के तत्कालीन प्रभारी राजीव रंजन को जिम्मेदार ठहराया।

आयुष के साले आकाश जैन ने भागलपुर के ललमटिया थाने के तत्कालीन प्रभारी राजीव रंजन के खिलाफ “सुसाइड के लिए परेशान करने” की धारा में मामला दर्ज कराया है। राजीव रंजन वर्तमान में बांका के पंजवारा थाना में पोस्टेड हैं। पुलिस ने बताया कि आरोपी की जल्द गिरफ्तारी की जाएगी।


घटना की पृष्ठभूमि

18 मई को ललमटिया पुलिस ने पासी टोला में अवैध शराब बरामदगी के लिए छापेमारी की थी। इस दौरान ग्रामीणों ने विरोध किया और पत्थरबाजी की, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हुए। इसके बाद डीएसपी 2 राकेश कुमार, नाथनगर इंस्पेक्टर राजीव रंजन सिंह और ललमटिया थानाध्यक्ष के नेतृत्व में पुलिस ने करीब दस महिलाओं और पुरुषों को हिरासत में लिया। हिरासत में ली गई महिलाओं में आयुष की बहन भी शामिल थी।

सुसाइड नोट में आयुष ने लिखा कि वह इतने बड़े पद पर होते हुए भी अपनी बहन के मामले में कुछ नहीं कर पाए। यही मानसिक दबाव उनकी मौत का कारण बना।


शव का बरामदगी का तरीका

आयुष का शव कमरे में फंदे से लटका पाया गया। उनके साले आकाश जैन ने पुलिस को तुरंत सूचना दी। पुलिस ने खिड़की तोड़कर डेडबॉडी को बाहर निकाला।


स्थानीय और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

आयुष की आत्महत्या ने इलाके में गहरा शोक और तनाव पैदा कर दिया है। पटियाला पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। स्थानीय लोग और मानवाधिकार संगठन इस घटना की निंदा कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

इस घटना ने पुलिस हिरासत और महिला सुरक्षा के मुद्दों पर सवाल उठाए हैं। अधिकारियों की लापरवाही और कथित दुर्व्यवहार के आरोपों के कारण यह मामला अब राज्य और केंद्र दोनों स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।


 

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