उच्च न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद बाढ़ विधानसभा के प्रत्याशी और बाहुबली नेता कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया ने शनिवार को बाढ़ व्यवहार न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। सरेंडर करने के करीब छह घंटे बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में बाढ़ जेल भेज दिया गया। लल्लू मुखिया वर्ष 2003 के एक हत्या मामले में लंबे समय से फरार चल रहे थे।
छह घंटे की कानूनी प्रक्रिया के बाद भेजे गए जेल
पुलिस लगातार उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही थी। चुनाव के बाद वे गिरफ्तारी के भय से भूमिगत हो गए थे। पुलिस ने चुनाव से पहले उनके घर की कुर्की-जब्ती भी की थी, लेकिन उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया था।
उनके वकील संजीत कुमार ने बताया—
“लल्लू मुखिया ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों जगह से जमानत की कोशिश की, लेकिन राहत नहीं मिली। मामला धारा 302 का है, इसलिए उन्हें बाढ़ व्यवहार न्यायालय में सरेंडर करना पड़ा।”
सुप्रीम कोर्ट की राहत अवधि खत्म, करना पड़ा आत्मसमर्पण
कभी अनंत सिंह के करीबी रहे लल्लू मुखिया चुनाव प्रचार के दौरान मुंगेर सांसद ललन सिंह पर उन्हें केस में फंसाने का आरोप लगाते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव अवधि में उनकी गिरफ्तारी पर अस्थायी रोक दी थी, लेकिन राहत अवधि समाप्त होते ही उन्हें सरेंडर करना पड़ा।
अनंत सिंह से दोस्ती से दुश्मनी तक
लल्लू मुखिया की छवि एक बाहुबली नेता की रही है।
2019 लोकसभा चुनाव के बाद अनंत सिंह और लल्लू मुखिया के रिश्तों में कड़वाहट आ गई। 2020 में उन्होंने बाढ़ विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।बाद में विधानपरिषद चुनाव में भी उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा।
कमलेश हत्याकांड में नाम जुड़ने पर विवाद
वर्ष 2023 के कमलेश हत्याकांड में उन्हें अप्राथमिक अभियुक्त बनाया गया था। लल्लू मुखिया का दावा है कि उन्हें इस मामले में “फंसाया गया” है। वहीं, पीड़ित परिवार ने भी यह आरोप लगाया कि पुलिस “दबाव में आकर” कर्णवीर सिंह यादव का नाम केस में जोड़ रही है।


