पांच साल बाद यमुना किनारे फिर गूंजेंगे छठ के गीत, पूर्वांचल के लोगों में उत्साह चरम पर

नई दिल्ली: पांच वर्ष के लंबे इंतजार के बाद इस बार महापर्व छठ पूजा यमुना के किनारे मनाई जाएगी। दिल्ली में पूर्वांचलवासी इस निर्णय से बेहद उत्साहित हैं। छठ समितियां भी तैयारियों में जुट गई हैं। वर्ष 2020 में यमुना किनारे छठ पूजा पर लगा प्रतिबंध इस बार हटा दिया गया है, जिसके बाद श्रद्धालुओं में उत्साह दोगुना हो गया है।


सरकार ने हटाया प्रतिबंध

दिल्ली सरकार ने इस साल यमुना किनारे छठ पूजा पर से प्रतिबंध हटा दिया है। इससे पहले श्रद्धालु पिछले पांच वर्षों से अस्थायी घाटों पर पूजा करने को मजबूर थे।
पूर्वांचल समुदाय के लोगों का कहना है कि “दीवाली से पहले छठी मैया ने मनोकामना पूरी कर दी।”

गांधी नगर के पूर्वांचल नवनिर्माण संगठन के संतोष ने कहा,

“छठ पूजा पूरी तरह से प्राकृतिक है। इसमें ऐसा कुछ नहीं होता जिससे यमुना दूषित हो। यमुना किनारे पूजा शुरू करवाने को लेकर मैं दिल्ली हाईकोर्ट भी गया था। सरकार ने प्रतिबंध हटाया है, इससे लोग बहुत खुश हैं।”


प्रशासन ने शुरू की तैयारी

पूर्वांचल के लोगों को पारंपरिक तरीके से छठ मनाने देने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी अजय कुमार ने बताया कि प्रशासन भव्य छठ पर्व के आयोजन के लिए पूरी तैयारी में जुटा है।

सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली पुलिस, नगर निगम, बीएसईएस सहित कई विभागों के साथ बैठकें पूरी हो चुकी हैं।
सिंचाई विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि यमुना किनारे लकड़ी के सुरक्षा जाल लगाए जाएं ताकि पूजा के दौरान कोई हादसा न हो।


भव्य आयोजन की तैयारी

  • यमुना किनारे अस्थायी घाटों का निर्माण किया जाएगा।
  • श्रद्धालुओं के लिए टेंट और स्क्रीन की व्यवस्था होगी।
  • छठी मैया के भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरे माहौल को भक्तिमय बनाएंगे।
  • व्रती रात में टेंट में विश्राम की सुविधा भी पा सकेंगे।

यमुना का पानी पहले से साफ

सीमापुरी स्थित पूर्वांचल छठ पूजा समिति के संतोष झा ने बताया,

“छठ आस्था का पर्व है। यमुना किनारे पूजा पर प्रतिबंध लगाकर लोगों की आस्था को ठेस पहुंची थी। अब पांच साल बाद व्रती फिर से यमुना किनारे पूजा करेंगे। इस बार यमुना का पानी पहले के मुकाबले साफ नजर आ रहा है।”


पृष्ठभूमि

वर्ष 2020 में दिल्ली में यमुना किनारे छठ पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
सरकार ने यह कदम प्रदूषण और जल दूषण की आशंका के कारण उठाया था। तब से श्रद्धालु अस्थायी तालाबों और पार्कों में पूजा करते आ रहे थे।
अब पांच वर्ष बाद जब प्रतिबंध हटा है, तो पूर्वांचल समाज में खुशी और आस्था का माहौल है।


 

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