पटना। बिहार विधानमंडल का इस बार का शीतकालीन सत्र भले ही दिनों के लिहाज़ से छोटा रहा हो, लेकिन उसकी राजनीतिक गर्मी किसी पूर्ण सत्र से कम नहीं दिखी। शुक्रवार को सत्र के पाँचवें और अंतिम दिन कार्यवाही शुरू हुई तो सत्ता और विपक्ष के बीच पूरे सप्ताह चली तकरार फिर छाई रही।
तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी ने बढ़ाई सियासी तल्ख़ी
सत्र का सबसे चर्चित मुद्दा रहा—नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की लगातार अनुपस्थिति। सत्तापक्ष ने इसे विपक्ष की कमजोरी बताते हुए तेजस्वी पर “जनता के मुद्दों से भागने” का आरोप लगाया। कई मंत्रियों ने तंज कसा कि विपक्ष सदन में सवाल उठाने से बच रहा है और अपने दायित्व से पीछे हट रहा है।
विपक्ष बोला – यह रणनीति, कमज़ोरी नहीं
वहीं विपक्ष ने पलटवार किया कि तेजस्वी की चुप्पी को जल्दबाज़ी में कमज़ोरी समझना गलत होगा। विपक्षी नेताओं का कहना है कि तेजस्वी सत्र को रणनीतिक रूप से देख रहे हैं और सरकार की नाकामियों को बेनकाब करने के सही समय का इंतज़ार कर रहे हैं।
उनका आरोप था कि सरकार के पास गिनाने के लिए ठोस उपलब्धियां नहीं हैं, इसलिए वह चर्चा का केंद्र विपक्ष को बनाकर जनता का ध्यान भटकाना चाहती है।
छोटा सत्र, बड़ी सियासी टक्कर
कम अवधि के बावजूद इस सत्र में सत्ता और विपक्ष दोनों ही एक-दूसरे की गैरहाज़िरी और उपस्थिति को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करते दिखे। बहसों से अधिक बयानबाज़ी सुर्खियों में रही।


