भारत में हर त्योहार सिर्फ पूजा-पाठ या रीति-रिवाजों का अवसर नहीं होता, बल्कि यह घर की ऊर्जा को शुद्ध करने और सकारात्मकता बढ़ाने का समय भी माना जाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, त्योहारों से पहले की जाने वाली सफाई और सजावट न केवल देवी-देवताओं को प्रसन्न करती है, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और शांति भी लाती है।
1. सफाई से आती है मां लक्ष्मी
वास्तु मान्यता है कि मां लक्ष्मी स्वच्छता की प्रतीक हैं।
जिस घर में सफाई होती है, वहां धन, वैभव और सौभाग्य का वास होता है। त्योहारों से पहले घर की सफाई करना केवल परंपरा नहीं, बल्कि ऊर्जा संतुलन का तरीका भी है। जाले, धूल और गंदगी हटाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, जबकि पुरानी और टूटी वस्तुएं बाहर निकालने से मानसिक हलकापन मिलता है।
2. रंगाई-पुताई का वास्तु महत्व
त्योहारों के मौके पर घर की रंगाई-पुताई या नया पेंट करवाना बेहद शुभ माना गया है। इससे घर में जमा बासी ऊर्जा खत्म होती है और नई सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
वास्तु के अनुसार
- सफेद रंग शांति का प्रतीक है
- हल्का पीला समृद्धि का
- क्रीम या हल्का गुलाबी सौहार्द और स्नेह का प्रतीक होता है।
3. दरवाजे और सीलन का रखें ध्यान
अगर मुख्य दरवाजे से आवाज़ आती है या वह जर्जर हो चुका है, तो उसे तुरंत ठीक या बदलवाना चाहिए। वहीं दीवारों या छत में सीलन को वास्तु दोष माना जाता है, जो आर्थिक रुकावटें और नकारात्मकता ला सकती है। इसलिए त्योहारों से पहले इन कमियों को जरूर दूर करें।
4. रंगोली और द्वार सजावट का महत्व
त्योहारों के दौरान मुख्य द्वार पर रंगोली बनाना शुभ माना गया है।
यह सकारात्मक ऊर्जा को घर में आमंत्रित करती है और मां लक्ष्मी को आकर्षित करने का प्रतीक है। साथ ही, तोरण, दीपक, फूलमाला या आम्रपल्लव से द्वार सजाने से घर में उल्लास और सौभाग्य का संचार होता है।
5. पूजा की सही दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में करनी चाहिए। यह दिशा देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इस दिशा में पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
निष्कर्ष
त्योहार केवल धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि यह हमारे घर और मन दोनों को शुद्ध करने का अवसर होते हैं। सफाई, रंगाई, सजावट और सही दिशा में पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, खुशहाली और सौभाग्य का संचार होता है।
