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पटना: बी.एड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार लोक सेवा आयोग(Bpsc) द्वारा ली जा रही 1.70 लाख की शिक्षक नियुक्ति को लेकर भ्रम की स्थित बनी हुई है.24 अगस्त से शुरू हो रहे इस परीक्षा को लेकर परीक्षार्थी और शिक्षा विभाग के जानकार भ्रम की स्थिति मे हैं..वहीं इस भ्रम की दूर करने की कोशिश बीपीएससी के चेरयमन अतुल प्रसाद ने की है।

अतुल प्रसाद ने ट्वीट करके लिखा है कि बिहार में ली जा रही शिक्षक भर्ती परीक्षा पर किसी तरह का रोक नहीं है और बीपीएससी की इस शिक्षक नियुक्ति प्रकिया पर रोक लगाने की कोई योजना भी नहीं है.वहीं इस मुद्दे बीपीएससी चेयरमेन के ट्वीट से परीक्षार्थियों ने राहत की सांस ली है क्योंकि राजस्थान के मामले में सुप्रीम कोर्ट के बी.एड डिग्रीधारियों के प्राथमिक शिक्षक बनने को लिए योग्य नहीं होने का आदेश के बाद पूरे देश मे इसकी चर्चा हो रही है और बिहार के परीक्षार्थियों मे भ्रम की स्थिति बनी हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश और बिहार में होनेवाली शिक्षक नियुक्ति परीक्षा को लेकर यहां के शिक्षाविद् और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी चिंता जताई है.इस मुद्दे पर विधायक संदीप सौरव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला चौंकानेवाला है और इसका असर बिहार ही नहीं दूसरे राज्यों की भी शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पर पड़ेगी.शिक्षक नियुक्ति वाले कई अभ्यर्थियों के पास BLED,DLED की डिग्री नहीं. सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है. सरकार को रास्ता निकालना होगा।

नियुक्ति प्रक्रिया विलम्ब होने से स्टूडेंट्स में निराशा हुई है. हमारी कोशिश होगी की नियुक्ति प्रक्रिया में विलम्ब न हो .हलांकि इतिहास रहा है जब-जब ऐसे कोर्ट के फैसले हुए हैं सरकार को अपनी प्रक्रिया में बदलाव करना पड़ा है।

वहीं इस मुद्दे पर Bjp MLC नवल यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए राज्य सरकार अविलम्ब अपील में जाए. अगर हमें अच्छी डिग्री वाले अभ्यर्थी मिल जायँ तो क्या हम उनका चयन नहीं करेंगें. सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है।

वहीं शिक्षक नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला पर कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता शकील अहमद ने कहा कि सरकार फैसले को देखेगी.,

लेकिन ये नियुक्ति प्रक्रिया रुकेगी नहीं.बिहार की 16 करोड़ जनता चाहती है कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था हो.बिहार सरकार इसी कोशिश में लगी है. इतिहास रहा है जब-जब कुछ बेहतर करने की कोशिश हुई है तब-तब मामले को कानूनी मामले में फंसाया गया है. सरकार मामले की समीक्षा कर फैसला लेगी।

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