पटना, 1 सितंबर 2025 – जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट के इस दौर में आर्द्रभूमियों (वेटलैंड) का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी को देखते हुए बिहार सरकार ने ‘वेटलैंड मित्र’ अभियान की शुरुआत की है। इस पहल के तहत स्थानीय स्तर पर लोगों को आर्द्रभूमियों की निगरानी और संरक्षण की जिम्मेदारी दी जा रही है।
क्या करते हैं वेटलैंड मित्र?
- आर्द्रभूमियों की पहचान, साफ-सफाई और रखरखाव सुनिश्चित करना।
- प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर रोक लगाना।
- पर्यावरणीय पर्यटन को बढ़ावा देना।
सरकार का मानना है कि स्थानीय लोगों की भागीदारी से वेटलैंड की सुरक्षा और प्रबंधन अधिक प्रभावी होगा।
बिहार में कितनी हैं आर्द्रभूमियां?
- कुल आर्द्रभूमियां: 4526 (2.25 हेक्टेयर से बड़ी)
- भू-सत्यापित: 4316
- हेल्थ कार्ड बने: 233
‘वेटलैंड हेल्थ कार्ड’ में जल की गुणवत्ता, ऑक्सीजन स्तर, पक्षियों और जलीय जीवों की संख्या जैसी जानकारियां दर्ज हैं। भविष्य में यदि किसी आर्द्रभूमि पर संकट आता है, तो यह कार्ड उसके संरक्षण में सहायक होगा।
‘आर्द्रभूमि ऐप’ से होगा मॉनिटरिंग
राज्य सरकार ने ‘आर्द्रभूमि ऐप’ लॉन्च किया है। आम लोग अपने जिले की किसी भी आर्द्रभूमि की तस्वीर और जानकारी ऐप पर अपलोड कर सकते हैं। इसके बाद विशेषज्ञों की टीम मौके पर जाकर जांच और सत्यापन करेगी।
कौन बन सकते हैं वेटलैंड मित्र?
इस अभियान में व्यापक जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने विभिन्न वर्गों को जोड़ा है, जैसे—
- धार्मिक संस्थान, आश्रम और कॉरपोरेट हाउस
- स्कूल-कॉलेज, विश्वविद्यालय और एनजीओ
- पंचायत राज संस्थाएं और नगर निकाय
- एनएसएस, एनसीसी, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता
- मछुआरे, नाविक और वेटलैंड से सटे गांव-शहरों के निवासी
इस तरह ‘वेटलैंड मित्र’ न सिर्फ आर्द्रभूमियों की रक्षा करेंगे बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय स्तर पर जनभागीदारी की मिसाल भी पेश करेंगे।


