मछली और बत्तख पालन से जल संरचनाओं को मिला जीवन, महिलाओं को मिला रोजगार
पटना, 23 मई 2025:बिहार सरकार द्वारा संचालित जल-जीवन-हरियाली मिशन अब केवल जल संरक्षण की पहल नहीं रह गया है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका का स्थायी साधन भी बनता जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी अभियान के अंतर्गत राज्य भर में पुनर्जीवित किए गए तालाबों में मछली पालन और बत्तख पालन के माध्यम से जीविका समूहों की दीदियाँ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं।
मिशन निदेशक प्रतिभा रानी ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि जीर्णोद्धार किए गए सार्वजनिक जल स्रोतों की देखरेख और प्रबंधन की जिम्मेदारी जीविका स्वयं सहायता समूहों को सौंपी गई है। इससे एक ओर जहां जल संरचनाओं का सतत रखरखाव संभव हुआ है, वहीं दूसरी ओर महिलाएं मत्स्य और बत्तख पालन के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
तालाबों के पुनर्जीवन से बहुआयामी लाभ:
- भूजल के अत्यधिक दोहन और उसके पुनर्भरन के बीच संतुलन की दिशा में बड़ा कदम
- पारंपरिक जल संरचनाओं जैसे तालाब, पोखर, आहर और पईन का उन्नयन
- इनलेट-आउटलेट निर्माण, पाथवे, वृक्षारोपण, सीढ़ियाँ और घाट जैसे ढांचागत सुधार
- जल को सहेजने और प्रवाहित करने की बेहतर व्यवस्था
11 अवयवों पर 15 विभागों की समन्वित कार्रवाई:
जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत कुल 11 घटकों पर कार्य किया जा रहा है, जिन्हें 15 विभागों द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। अभियान का द्वितीय अवयव विशेष रूप से जल संचयन संरचनाओं के पुनर्जीवन पर केंद्रित है।
महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल:
यह पहल न केवल पर्यावरणीय संरक्षण का कार्य कर रही है, बल्कि राज्य की हजारों महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक जीवन की दिशा में सार्थक प्रयास बनकर उभर रही है।