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पटना, 28 सितंबर 2025: उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने आज पटना में आयोजित तीसरे संस्करण के अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘Unmesha-2025’ के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उपराष्ट्रपति ने बिहार की प्राचीन शिक्षा केंद्रों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए राज्य को ज्ञान, धर्म और संस्कृति की भूमि बताया।

बिहार: प्राचीन ज्ञान का केन्द्र
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसी प्राचीन शिक्षा संस्थाएँ न केवल पूरे एशिया में छात्रों को आकर्षित करती थीं, बल्कि यह बिहार को प्राचीन विश्व का बौद्धिक केंद्र बनाती थीं। उन्होंने बिहार में केंद्रीय और राज्य सरकार के प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की सराहना की, जिनके चलते नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार संभव हुआ।

उपराष्ट्रपति ने बिहार के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि बिहार मगध और मौर्य साम्राज्यों का गवाह रहा, वहीं वैशाली लोकतंत्र की जननी है। उन्होंने चोल वंश के कुडावोलाई चुनाव प्रणाली का उदाहरण देते हुए भारत में प्राचीन समय से स्वशासन की परंपरा का हवाला दिया।

सामाजिक बदलाव और आंदोलनों की भूमि
श्री राधाकृष्णन ने चंपारण सत्याग्रह और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुए कुल क्रांति आंदोलन को याद किया। उन्होंने अपने जीवन के 19वें वर्ष में इस आंदोलन में सक्रिय भागीदारी का उल्लेख किया और कहा कि बिहार हमेशा सामाजिक बदलाव और राष्ट्रीय नेतृत्व की भूमि रहा है।

सांस्कृतिक विरासत और उत्सव
बिहार की लोक कला और संस्कृति पर भी उपराष्ट्रपति ने प्रकाश डाला। उन्होंने मिथिला चित्रकला, लोक नाट्य बिदेसिया, और विशेष रूप से छठ पूजा का उल्लेख करते हुए इसे विश्व का एक अनुशासित और पर्यावरण-संवेदनशील पर्व बताया।

Unmesha: विचारों का जागरण
उपराष्ट्रपति ने ‘Unmesha’ का महत्व बताते हुए कहा कि यह नए विचारों, कहानियों और दृष्टिकोणों के जागरण का प्रतीक है। यह महोत्सव भाषा, संस्कृति, भूगोल और विचारधाराओं के विभाजन को पाटने का माध्यम बनता है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह महोत्सव भविष्य की पीढ़ियों के लेखकों, विचारकों और पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

Ek Bharat, Shreshtha Bharat का संदेश
अंत में उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक-दूसरे की साहित्यिक समझ से हम “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

मौके पर उपस्थित लोग और कार्यक्रम
कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल डॉ. अरिफ मोहम्मद खान, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह, साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। महोत्सव का आयोजन साहित्य अकादमी और संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से किया गया।

इस बार महोत्सव में 15 देशों के 550 से अधिक लेखक, कवि, विद्वान और अनुवादक शामिल हुए, जिन्होंने 100 से अधिक भाषाओं का प्रतिनिधित्व किया।

अन्य गतिविधियाँ
उपराष्ट्रपति ने पटना में लोकनायक जयप्रकाश नारायण को पुष्प अर्पित किए और मुजफ्फरपुर के श्री चामुंडा देवी मंदिर में प्रार्थना की। इस दौरान उपमुख्यमंत्री और केंद्रीय राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी भी उनके साथ थे।

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