
नई दिल्ली। आज 26 मई 2025, सोमवार को देशभर में वट सावित्री व्रत श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा करती हैं।
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत का उल्लेख महाभारत और स्कंद पुराण में मिलता है। यह व्रत देवी सावित्री की भक्ति और साहस की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस प्राप्त किए थे। इस व्रत के पीछे यह विश्वास है कि सावित्री जैसी श्रद्धा और संकल्प से सुहागिनें अपने पतियों की रक्षा कर सकती हैं।
पूजन विधि
- प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- व्रत कथा का पाठ करें — “सावित्री-सत्यवान” की कथा का श्रवण या पाठ करें।
- वटवृक्ष की पूजा करें, जल, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत (धागा) अर्पित करें।
- वटवृक्ष की 7, 11 या 21 बार परिक्रमा करें।
- धागा पेड़ पर लपेटते हुए पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें।
- ब्राह्मण को वस्त्र, फल, मिठाई और दक्षिणा दान दें।
शुभ मुहूर्त
- पूजा का समय: प्रातः 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
- व्रत पारण समय: सायं 07:10 PM के बाद
धार्मिक मान्यता:
व्रत करने से पति की दीर्घायु, परिवार की सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन में मिठास बनी रहती है। जो महिलाएं यह व्रत श्रद्धापूर्वक करती हैं, उन्हें सावित्री जैसा अटल सौभाग्य प्राप्त होता है।
नोट: यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी/चतुर्दशी को अलग-अलग स्थानों पर मान्य होता है। अधिक सटीक जानकारी के लिए स्थानीय पंचांग या पंडितजी से परामर्श करें।