भागलपुर। तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) इन दिनों लगातार विवादों में है। विश्वविद्यालय परिसर में डिग्री और प्रोविजनल सर्टिफिकेट को लेकर कथित घोटाले ने छात्रों, प्रशासन और पुलिस सभी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
जानकारी के अनुसार, हाल के दिनों में विश्वविद्यालय में खुलेआम पैसे लेकर डिग्री और प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटे जा रहे थे। इस पूरे प्रकरण में विश्वविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत के आरोप सामने आए हैं।
छात्रों के दो गुट आमने-सामने
मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब छात्रों के दो गुट आमने-सामने आ गए और जमकर हाथापाई हुई। विश्वविद्यालय परिसर का माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया कि पुलिस को हाई अलर्ट पर रहना पड़ा।
ABVP का आरोप
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के प्रदेश सह मंत्री कुणाल पांडे ने इसे गंभीर भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन, विशेषकर परीक्षा नियंत्रक डॉ. कृष्ण कुमार के संरक्षण में, डिग्रियां और प्रोविजनल सर्टिफिकेट बेचे जा रहे हैं।
कुणाल पांडे ने कहा –
“छात्रों का भविष्य दांव पर लगाकर विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। ऐसे मामलों में प्रशासन की निष्क्रियता छात्रों के विश्वास को तोड़ रही है।”
पुलिस प्रशासन का कड़ा रुख
बढ़ते विवाद और कानून-व्यवस्था को बिगड़ने से रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने विश्वविद्यालय को छावनी में तब्दील कर दिया है। पुलिस बल लगातार गश्त कर रहा है और परिसर में हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है।
डीएसपी अजय कुमार चौधरी खुद मोर्चा संभाल रहे हैं। उनका कहना है –
“किसी भी हालत में कानून-व्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। सभी गुटों को सतर्क किया गया है और किसी अप्रिय घटना की संभावना को देखते हुए अतिरिक्त सुरक्षा बढ़ा दी गई है।”
मौजूदा स्थिति
विश्वविद्यालय में अभी भी उच्चस्तरीय तनाव है। छात्र संगठन और प्रशासन दोनों ही स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए लगातार बातचीत कर रहे हैं। हालांकि, छात्रों और अभिभावकों में भारी चिंता बनी हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता और प्रशासनिक जिम्मेदारी सुनिश्चित किए बिना विश्वविद्यालय का माहौल शांत नहीं हो सकता। छात्रों का भविष्य सुरक्षित करना और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना ही अब प्रशासन की प्रमुख जिम्मेदारी बन गया है।


