पटना। नवंबर का महीना समाप्ति की ओर है और बिहार सहित पूरे उत्तर भारत में शीतलहर ने रफ्तार पकड़ ली है। इसी बीच आज का पंचांग मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी के साथ कई ज्योतिषीय विशेषताओं वाला दिन लेकर आया है। दिनभर शतभिषा नक्षत्र, व्याघात योग और भद्रा का प्रभाव बताया गया है। सुबह से कोहरा छाया हुआ है, ऐसे में धार्मिक कार्यों के साथ मौसम का प्रभाव भी लोगों के दिनचर्या पर दिखाई दे रहा है।
नीचे आज का विस्तृत पंचांग प्रस्तुत है:
आज का विस्तृत पंचांग — 28 नवंबर 2025, शुक्रवार
तिथि: मार्गशीर्ष मास, शुक्ल पक्ष — अष्टमी
नक्षत्र: शतभिषा
योग: व्याघात
करण: सुबह तक विष्टि, इसके बाद बव
वार: शुक्रवार
विक्रम संवत: 2082
शक संवत: 1947
आज के प्रमुख शुभ मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त: 11:44 सुबह से 12:26 दोपहर
इस अवधि में नया काम, खरीदारी, जमीन-जात के सौदे और यात्रा शुरू करना शुभ माना गया है। - ब्रह्म मुहूर्त: लगभग 05:22 से 06:10 सुबह
यह समय पूजा-पाठ, ध्यान, आध्यात्मिक साधना और जप-तप के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
राहुकाल – आज किन समयों में शुभ कार्य करने से बचें
- राहुकाल: 11:05 बजे से 12:28 बजे दोपहर
इस दौरान विवाह, नया काम, सौदा या धन से जुड़ा कोई भी महत्वपूर्ण कदम उठाने से बचना चाहिए। राहुकाल में शुरू हुए कामों में बाधाएं आने और विलंब होने की संभावना रहती है।
भद्रा का प्रभाव आज पूरे दिन
पंचांग के अनुसार, आज भद्रा का प्रभाव बना हुआ है। भद्रा में गृह प्रवेश, मुंडन, शुभ यात्रा, विवाह, वाहन खरीद या किसी भी मांगलिक कार्य से परहेज किया जाता है। हालांकि भद्रा में तांत्रिक साधना, अनुसंधान, भूमि-सम्बंधित कार्य, और शौर्यकारी कार्य अनुमोदित माने गए हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा अशुभ मानी जाती है, इसलिए यदि आज कोई आवश्यक धार्मिक या मांगलिक अनुष्ठान हो, तो अभिजीत मुहूर्त को प्राथमिकता दी जा सकती है।
मौसम का असर: बिहार में बढ़ी ठंड, कोहरा बना चुनौती
पंचांग के अनुसार तो यह धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण दिन है, लेकिन मौसम ने आज लोगों की सबसे ज्यादा परीक्षा ली है।
- बिहार के कई जिलों में सुबह दृश्यता 100–200 मीटर तक रही।
- पछुआ हवाओं के कारण पारा 2–4 डिग्री तक गिर चुका है।
- पटना में सुबह तापमान में स्पष्ट गिरावट और घने कोहरे की स्थिति दर्ज की गई।
- उत्तर बिहार में पारा 6 डिग्री तक जाने का अनुमान है।
ऐसे में सुबह की यात्रा करने वालों को आज विशेष सावधानी की सलाह दी गई है।
धार्मिक मान्यता: दुर्गा अष्टमी का महत्व
मार्गशीर्ष शुक्ल अष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार यह तिथि शक्ति की उपासना के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है।
भक्त इस दिन—
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं
- मां दुर्गा की पूजा कर आरती उतारते हैं
- घर में दीपदान और प्रसाद वितरण करते हैं
शक्ति उपासना के लिए यह दिन शुभ है, लेकिन भद्रा के दौरान पूजा का शुभारंभ करने से पहले ब्राह्मणों से परामर्श लेना चाहिए।
दिनभर के लिए सुझाव
- भद्रा और राहुकाल में महत्वपूर्ण कार्यों को टालें
- यात्रा से पहले मौसम और दृश्यता की जानकारी अवश्य लें
- सुबह-शाम गरम कपड़े पहनें
- पूजा-पाठ के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वोत्तम रहेगा





