
पटना, 29 मई 2025 —मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर आरंभ किए गए ‘महिला संवाद कार्यक्रम’ के तहत महिलाओं से प्राप्त सड़क, नाली, शिक्षा, जल-आपूर्ति जैसी जमीनी समस्याओं को अब तकनीकी माध्यम से सीधे संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाया जा रहा है। इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ‘महिला संवाद ऐप’ नामक एक ऑनलाइन प्रणाली विकसित की गई है।
अब तक मिले 9.46 लाख से अधिक सुझाव
18 अप्रैल से राज्य भर में चल रहे महिला संवाद कार्यक्रम के तहत अब तक 9 लाख 46 हजार से अधिक सुझाव/आकांक्षाएं प्राप्त हो चुकी हैं। इन सभी को महिला संवाद ऐप पर अपलोड कर उनकी समीक्षा और समाधान की प्रक्रिया तेज़ी से चलाई जा रही है।
ऐसे कार्य करता है ‘महिला संवाद ऐप’
ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अपने गांव की सड़क, नाली, स्कूल, हर घर नल का जल योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, और अन्य बुनियादी समस्याओं को इस कार्यक्रम के माध्यम से साझा कर रही हैं। इन सुझावों को ग्राम संगठनों के स्तर से ऐप पर अपलोड किया जाता है।
इसके बाद प्रखंड स्तरीय जीविका कार्यालय इन सुझावों की प्रविष्टि करता है। प्रत्येक जिले के डीपीओ (जिला कार्यक्रम पदाधिकारी) के लिए एक-एक लॉगिन आईडी बनाया गया है, जिसके माध्यम से वे इन सुझावों का अवलोकन करते हैं और प्राथमिक जांच के बाद संबंधित जिलाधिकारियों (DM) को भेजते हैं।
DM स्तर पर जिन समस्याओं का समाधान संभव होता है, उन्हें स्थानीय स्तर पर हल कर लिया जाता है। बाकी समस्याएं राज्य मुख्यालय को भेज दी जाती हैं, जहां से उन्हें संबंधित विभागों को अग्रेषित कर आवश्यक कार्रवाई की जाती है।
महिला सशक्तिकरण को मिलेगा बल
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने बुधवार को विभागीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस ऐप के माध्यम से न केवल समस्याओं का समाधान संभव होगा बल्कि ग्रामीण महिलाओं को राज्य सरकार की योजनाओं के प्रति जागरूक भी किया जा सकेगा। उन्होंने इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रभावशाली और अभिनव प्रयास बताया।
बैठक में रहे अधिकारी उपस्थित
बैठक में जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा एवं अन्य विभागीय नोडल पदाधिकारी भी उपस्थित रहे। सभी को ऐप के संचालन और समाधान प्रक्रिया की निगरानी को प्रभावी बनाने के निर्देश दिए गए।
महिला संवाद ऐप तकनीक के माध्यम से सरकार और आम महिलाओं के बीच सीधा संवाद स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम बनता जा रहा है, जो न केवल समस्याओं के समाधान को गति देगा, बल्कि नीति निर्माण में भी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करेगा।