पटना | जून 2025 — बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से निष्कासित तेज प्रताप यादव की पार्टी में संभवित वापसी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे की वापसी की राजनीतिक ज़मीन तैयार करनी शुरू कर दी है, और इसके लिए उन्होंने अपने विश्वस्त सहयोगी व आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह को मैदान में उतार दिया है।
बाहर हुए तेज प्रताप, लेकिन वापसी की पटकथा शुरू
कुछ सप्ताह पहले तेज प्रताप यादव का एक पुराना प्रेम-प्रसंग और कथित शादी से जुड़ा मामला सामने आया था, जिसने पार्टी और लालू परिवार की साख पर सवाल खड़े कर दिए थे। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और तस्वीरों के बाद तेज प्रताप ने इसे “फेसबुक हैकिंग” और “षड्यंत्र” बताया, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था।
लालू प्रसाद यादव ने सख्त कदम उठाते हुए तेज प्रताप को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया और उन्हें परिवार से भी अलग कर दिया था। यह निर्णय जितना कठोर था, उतनी ही तेज़ी से यह चर्चा भी शुरू हो गई कि यह फैसला राजनीतिक रूप से उठाया गया एक ‘सद्भावना-युक्त कठोर कदम’ था, ताकि विरोधियों को जवाब दिया जा सके।
अब सुधाकर सिंह को बनाया गया वापसी का ‘चालाक मोहरा’?
तेज प्रताप की वापसी की रणनीति में एक अहम नाम है—सुधाकर सिंह, वर्तमान में आरजेडी के फायरब्रांड सांसद और पूर्व कृषि मंत्री, जिन्होंने नीतीश सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना की थी। यही नहीं, सुधाकर सिंह वही नेता हैं जिनके पिता जगदानंद सिंह से तेज प्रताप के मतभेद जगजाहिर रहे हैं।
अब जब सुधाकर सिंह तेज प्रताप के समर्थन में खुलकर सामने आए हैं, तो सियासी गलियारों में इसे ‘संकेत’ के तौर पर देखा जा रहा है। यह माना जा रहा है कि लालू यादव ने सार्वजनिक रूप से तो खुद को कठोर पिता और पार्टी अध्यक्ष की भूमिका में रखा, लेकिन पर्दे के पीछे अपने बेटे की वापसी का रास्ता साफ कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव की तैयारी और हसनपुर का समीकरण
तेज प्रताप यादव वर्तमान में हसनपुर सीट से विधायक हैं। आगामी 2025 विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका पार्टी के लिए अहम हो सकती है, विशेषकर युवा वोटरों और यादव-ओबीसी समीकरण को साधने के लिहाज़ से।
लालू यादव के लिए यह चुनौती है कि वे पार्टी में अनुशासन और भावनात्मक संतुलन दोनों बनाए रखें। ऐसे में तेज प्रताप को सुधाकर सिंह के माध्यम से धीरे-धीरे दोबारा स्वीकार कराना, पार्टी के भीतर एक ‘नियंत्रित वापसी’ की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
तेज प्रताप समर्थकों में उत्साह, विरोधियों में हलचल
सुधाकर सिंह के हालिया बयानों के बाद तेज प्रताप समर्थकों में उत्साह है। वहीं, पार्टी के अंदर और बाहर के विरोधियों में हलचल तेज हो गई है। कुछ इसे RJD की चुनावी मजबूरी मानते हैं, जबकि अन्य इसे लालू यादव की पारिवारिक राजनीति की ‘चालाक बिसात’ करार दे रहे हैं।
क्या कहता है राजनीतिक विश्लेषण?
- एक ओर: लालू प्रसाद ने तेज प्रताप को सख्ती से बाहर कर जनता के गुस्से को शांत किया।
- दूसरी ओर: वापसी की भूमिका बनाकर उन्होंने अपने बेटे की राजनीतिक विरासत को बचाने की कोशिश की।
- राजनीतिक संदेश: RJD में सब कुछ खत्म नहीं हुआ, बस रणनीतिक तौर पर नियंत्रित किया जा रहा है।
निष्कर्ष: RJD में ‘वापसी की स्क्रिप्ट’ जारी है!
तेज प्रताप यादव की पार्टी से निष्कासन भले ही सार्वजनिक तौर पर किया गया हो, लेकिन अब उनके ‘घर वापसी’ की स्क्रिप्ट धीरे-धीरे सामने आने लगी है। लालू यादव ने अपनी चाल में भावनात्मक और राजनीतिक संतुलन बिठाते हुए सुधाकर सिंह को आगे कर एक साफ संदेश दिया है—
“तेज प्रताप को भुलाया नहीं गया है, बस सही वक्त का इंतजार है।”