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सुनामी में जिस किसान का घर हो गया तबाह, उसकी दो बेटियों ने कर दिया कमाल; एक IAS तो दूसरी बनी IPS अधिकारी

ByLuv Kush

मार्च 3, 2025
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अगर कुछ पाने की चाह हो तो मंजिल जरुर हासिल होती है ऐसे ही सुष्मिता और ईश्वर्या की कहानी एक मिसाल है। यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, लगन, मेहनत और दृढ़ संकल्प से हमेशा सफलता मिलती है। इन दोनों बहनों ने अपने परिवार और समाज के लिए एक मिसाल कायम की है और भारत की सबसे कठिन यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) परीक्षा को पास किया है. इस परीक्षा में बैठने वाले हर उम्मीदवार से कड़ी मेहनत और लगन की अपेक्षा होती है।

सुष्मिता और ईश्वर्या एक छोटे से किसान परिवार से आती है. उनके बचपन में पढ़ाई के लिए संसाधनों की कमी रही और आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा। 2004 में आई सुनामी के दौरान उनके घर तबाह हो गया था। यह उनके जीवन का सबसे दर्दनाक पल था। सुनामी की त्रासदी ने दोनों बहनों को तोड़ने की बजाय और मजबूत बनाया। इससे उनका हौसला और ज्यादा बुलंद हो गया। सभी मुश्किलों के बावजूद, दोनों बहनों ने हार नहीं मानी। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास की और IAS और IPS अफसर बनीं।

दोनों बहनों में से छोटी बहन ईश्वर्या ने पहले सफलता हासिल की। उन्होंने साल 2018 में सिविल सेवा परीक्षा पास की और 628वीं रैंक हासिल की। उन्हें रेलवे अकाउंट्स सर्विस (RAS) की सेवा मिली लेकिन ईश्वर्या अपनी रैंक से संतुष्ट नहीं थीं इसलिए उन्होंने फिर से परीक्षा देने का फैसला किया और साल 2019 में ईश्वर्या ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा फिर से दी और 44वीं रैंक हासिल की। मात्र 22 साल की उम्र में ही वह तमिलनाडु कैडर की IAS अफसर बनीं। वर्तमान में, वह तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में एडिशनल कलेक्टर (विकास) के पद पर कार्यरत हैं।

वहीं ईश्वर्या की बड़ी बहन सुष्मिता को UPSC परीक्षा में कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा। वह अपने पहले पांच प्रयासों में परीक्षा पास नहीं कर पाईं। लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत जारी रखी। आखिरकार सुष्मिता ने छठे प्रयास में साल 2022 में सफलता अपने नाम दर्ज कर लिया। उन्होंने 528वीं रैंक हासिल करके आंध्र प्रदेश कैडर की IPS अफसर का पद हासिल किया। वर्तमान में वह दक्षिणी राज्य के काकीनाडा ज़िले में असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP) के पद पर कार्यरत हैं।

सुष्मिता और ईश्वर्या की कहानी युवाओं को प्रेरित करने वाली है और अपने असफलता से बिना हार माने कड़ी मेहनत करनी चाहिए। साथ ही धैर्य  बनाये रखना चाहिए। उनकी कहानी सिखाती है कि अगर मन में ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं है।

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