पटना डेयरी प्रोजेक्ट का मुख्यमंत्री ने किया निरीक्षण, दुग्ध समितियों के विस्तार और प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने पर जोर

पटना में रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुधा फुलवारीशरीफ स्थित पटना डेयरी प्रोजेक्ट का गहन निरीक्षण किया। डेयरी के उत्पादन, प्रोसेसिंग और स्टोरेज से जुड़ी सभी यूनिटों—प्रोडक्शन हॉल, आइसक्रीम प्लांट, दही कोल्ड रूम और अन्य विभागों का जायजा लेते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से प्रतिदिन होने वाले उत्पादन, क्षमता और भविष्य की मांग को लेकर विस्तृत जानकारी ली।

निरीक्षण के बाद कॉन्फ्रेंस हॉल में हुई बैठक में कॉम्फेड के प्रबंध निदेशक शीर्षत कपिल अशोक ने संगठन की वर्तमान स्थिति, विजन डॉक्यूमेंट और अगले पांच वर्षों की योजनाओं की प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि बिहार में 21 हजार से अधिक ग्राम-स्तरीय दुग्ध सहकारी समितियाँ सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। इनसे 7.5 लाख पशुपालक जुड़े हैं, जिनमें लगभग 25 प्रतिशत महिलाएँ शामिल हैं। रोजाना औसतन 22 लाख किलोग्राम दूध का संकलन होता है, जबकि चरम स्थिति में यह 30 लाख किलोग्राम प्रति दिन तक पहुंच जाता है। कॉम्फेड की कुल प्रसंस्करण क्षमता इस समय 54 लाख लीटर प्रतिदिन है और इसे और बढ़ाने की तैयारी जारी है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि दुग्ध उत्पादन समितियों का तेजी से विस्तार किया जाए, ताकि अधिक से अधिक ग्रामीण परिवारों की आमदनी बढ़ सके और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हों। उन्होंने कहा कि 2008 से लागू कृषि रोड मैप की वजह से बिहार में फसल उत्पादन और दूध उत्पादन दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने डेयरी प्लांट के विस्तार, प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने और मजबूत प्रोक्यूरमेंट नेटवर्क विकसित करने पर विशेष बल दिया।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि डेयरी परियोजनाओं में काम करने वाले कर्मियों के लिए आवास की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि वे बेहतर माहौल में काम कर सकें। उन्होंने कहा कि किसानों और पशुपालकों को बेहतर मूल्य और तकनीकी सुविधाएँ दिलाना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है।

कॉम्फेड की स्थापना वर्ष 1983 में ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम के तहत की गई थी। आज राज्य में 8 दुग्ध संघ 31 जिलों में कार्यरत हैं, जबकि शेष जिलों की जिम्मेदारी सीधे कॉम्फेड की परियोजनाओं के माध्यम से निभाई जाती है। गाँवों में दुग्ध समितियाँ न सिर्फ दूध संकलन करती हैं बल्कि पशुपालकों को पशुचारा, कृत्रिम गर्भाधान, टीकाकरण, चारा बीज और अन्य तकनीकी सेवाएँ भी उपलब्ध कराती हैं।

सुधा ब्रांड आज बिहार और झारखंड की पहचान बन चुका है। प्रतिदिन 18 लाख लीटर पैक्ड दूध की बिक्री होती है और 3.5 लाख लीटर दुग्ध उत्पाद तैयार किए जाते हैं। राज्य भर में 37 हजार खुदरा विक्रय केंद्र और 914 होल-डे मिल्क बूथ सुधा उत्पादों की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं। नालंदा डेयरी परियोजना में UHT प्लांट शुरू होने के बाद सुधा अब देश के कई राज्यों—असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम—तथा भारतीय सेना को भी टेट्रा पैक दूध की आपूर्ति कर रही है।

सुधा के उत्पादों की मांग न सिर्फ देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ रही है। मार्च 2025 में कॉम्फेड ने 5 मीट्रिक टन घी अमेरिका और 8 मीट्रिक टन गुलाबजामुन कनाडा निर्यात किया, जिससे बिहार के दुग्ध उद्योग की वैश्विक पहचान मजबूत हुई है।

घी, पेड़ा, पनीर, दही, लस्सी, आइसक्रीम, मट्ठा, रसगुल्ला, बलूशाही जैसे उत्पादों के साथ-साथ स्किम्ड मिल्क पाउडर और होल मिल्क पाउडर का भी बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। समाज कल्याण विभाग के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्रों में माताओं और बच्चों तक सुधा मिल्क पाउडर पहुँचाया जा रहा है।

निरीक्षण के दौरान अपर मुख्य सचिव (पशु एवं मत्स्य संसाधन) डॉ. एन. विजयलक्ष्मी, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी डॉ. गोपाल सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव डॉ. चंद्रशेखर सिंह, कॉम्फेड के एमडी शीर्षत कपिल अशोक, पटना के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम और पटना डेयरी प्रोजेक्ट के प्रबंध निदेशक रूपेश राज समेत कई वरीय अधिकारी उपस्थित रहे।

 

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