पटना: बिहार की राजनीति में रघुनाथपुर विधानसभा सीट एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार यहां मुकाबला सिर्फ दो दलों — राजद और एनडीए — के बीच नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं: “विकास बनाम विरासत” के बीच होने जा रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अपने दिवंगत कद्दावर नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की विरासत को फिर से जीवित करने की कोशिश में है, जबकि एनडीए संगठन की मजबूती और जमीनी कार्यकर्ताओं की ताकत पर भरोसा जता रहा है।
लालू यादव ने ओसामा शहाब को दिया टिकट
14 अक्टूबर 2025 को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने विधानसभा चुनावों के लिए कई प्रत्याशियों की घोषणा की।
इनमें सबसे चर्चित नाम रहा ओसामा शहाब का, जिन्हें रघुनाथपुर सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है।
ओसामा, शहाबुद्दीन के बेटे हैं और अपनी मां हिना शहाब के साथ अक्टूबर 2024 में राजद में शामिल हुए थे।
वर्तमान विधायक हरीशंकर यादव, जो दो बार RJD के टिकट पर जीत चुके हैं, ने सीट छोड़कर ओसामा के लिए रास्ता साफ किया है।
यह कदम पार्टी की उस रणनीति को दर्शाता है जिसके तहत राजद, शहाबुद्दीन की राजनीतिक विरासत को फिर से मजबूत करने में जुटी है।
एनडीए ने मैदान में उतारा जिशु सिंह को
एनडीए की ओर से इस सीट पर जेडीयू प्रत्याशी विकास कुमार सिंह उर्फ जिशु सिंह को उतारा गया है।
रघुनाथपुर सीट इस बार जेडीयू के खाते में आई है।
जिशु सिंह मीडिया में कम दिखते हैं, लेकिन संगठनात्मक पकड़ और मेहनती कार्यकर्ता की छवि के कारण पार्टी में उनकी स्थिति मजबूत है।
वे वर्षों से जेडीयू संगठन में सक्रिय हैं और बूथ स्तर पर उनकी मजबूत पकड़ उन्हें एक प्रभावशाली उम्मीदवार बनाती है।
स्थानीय लोग उन्हें “काम करने वाला नेता” मानते हैं, जो हर वर्ग में लोकप्रिय हैं।
विकास बनाम विरासत की जंग
रघुनाथपुर का यह चुनाव बिहार के लिए एक विचारधारा आधारित मुकाबला बन गया है। एक तरफ ओसामा शहाब हैं, जिन्हें अपने पिता की राजनीतिक विरासत और हरीशंकर यादव जैसे वरिष्ठ नेता का समर्थन प्राप्त है, वहीं दूसरी ओर जिशु सिंह हैं, जिनके पास संगठन का मजबूत ढांचा और कार्यकर्ताओं की फौज है।
यह मुकाबला सिर्फ दो उम्मीदवारों का नहीं, बल्कि राजनीतिक सोच और जनता की प्राथमिकताओं की परीक्षा भी है।
जनता का फैसला होगा निर्णायक
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रघुनाथपुर की जनता “विकास की राह” चुनती है या “विरासत की पहचान” को प्राथमिकता देती है। दोनों दलों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुकी है और चुनावी माहौल हर दिन और गरमाता जा रहा है।


