बिहार में अतिक्रमण हटाने की मुहिम के तहत कई जिलों में प्रशासन का बुलडोजर लगातार चल रहा है। कहीं सड़क किनारे की दुकानों पर कार्रवाई हो रही है, तो कहीं फुटपाथ पर वर्षों से बसे परिवारों को हटाया जा रहा है। इस अभियान को लेकर जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं—कुछ लोग इसे व्यवस्था सुधार का कदम मान रहे हैं, जबकि गरीब तबके में डर और अनिश्चितता की भावना बढ़ रही है।
इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार चौबे ने सरकार को एक महत्वपूर्ण सलाह देते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन कार्रवाई का तरीका मानवीय होना जरूरी है। भागलपुर में मीडिया से बात करते हुए चौबे ने कहा कि “यूपी में बुलडोजर इसलिए चला क्योंकि वहां गलत काम हो रहे थे। लेकिन बिहार में जिस तरह अचानक कार्रवाई हो रही है, उससे गरीबों में भय का माहौल बन गया है।”
चौबे ने कहा कि सड़क और फुटपाथ पर रहने वाले परिवारों के पास रहने की कोई सुरक्षित जगह नहीं है। ऐसे लोगों को सीधे बेदखल करना अन्याय है। उन्होंने सरकार से अपील की—“पहले रैन बसेरा बनाएं, बेघर लोगों को रहने की जगह दें, उसके बाद उन्हें हटाएं। गरीबों ने भी चुनाव में वोट दिया है, इसलिए उन पर बिना तैयारी के बुलडोजर चलाना उचित नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर वह खुद मुख्यमंत्री से मिलकर आग्रह करेंगे ताकि गरीबों को राहत मिल सके और उनके हितों की रक्षा हो सके।
अश्विनी चौबे ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि वे एनडीए के सच्चे कार्यकर्ता हैं, भाजपा को अपनी मां और पार्टी नेताओं को भाई मानते हैं, लेकिन अन्याय कहीं भी हो वह उसके खिलाफ आवाज उठाएंगे।
बिहार में बुलडोजर कार्रवाई आने वाले दिनों में और तेज होने की आशंका है। ऐसे में सरकार पर यह दबाव बढ़ गया है कि वह कार्रवाई से पहले मानवीय पहलुओं और गरीब परिवारों की सुरक्षा पर ध्यान दे।


