राजद ने तय की उम्मीदवारों की लिस्ट, इस बार बदलेगा जातीय समीकरण
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों के ऐलान के साथ ही राज्य की सियासत पूरी तरह गरमा गई है। चुनाव दो चरणों में होंगे — पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण का 11 नवंबर को होगा। हालांकि एनडीए और महागठबंधन दोनों ही गठबंधनों में सीट बंटवारे की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन राजद (RJD) में तेजस्वी यादव ने अपनी तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं।
राजद की तैयारी अंतिम चरण में
सूत्रों के मुताबिक, राजद ने सीट बंटवारे और उम्मीदवारों का चयन लगभग तय कर लिया है। तेजस्वी यादव ने कई सीटों पर प्रत्याशियों को उनके क्षेत्रों में जाकर चुनावी प्रचार शुरू करने का निर्देश भी दे दिया है। जानकारी के अनुसार, पार्टी ने अब तक लगभग 50 सीटों पर उम्मीदवारों को फाइनल कर लिया है।
तेजस्वी यादव का ‘A टू Z फॉर्मूला’
राजद सूत्र बताते हैं कि इस बार तेजस्वी यादव ने टिकट वितरण में ‘A टू Z फॉर्मूला’ अपनाया है। इसके तहत पार्टी ने निर्णय लिया है कि वह 2020 के विधानसभा चुनाव में जिन 144 सीटों पर लड़ी थी, उन्हीं सीटों पर दोबारा मैदान में उतरेगी। तेजस्वी यादव की यह रणनीति पार्टी की जातीय राजनीति की सीमाओं को तोड़कर एक समावेशी छवि प्रस्तुत करने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
अति पिछड़ों और अगड़ी जातियों को मिलेगी बड़ी हिस्सेदारी
राजद के इतिहास में पहली बार EBC (अति पिछड़ा वर्ग) को 30 से 35 सीटें देने की तैयारी है – यह पार्टी के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति मान रहे हैं।
साथ ही, राजद इस बार अगड़ी जातियों को भी साधने की कोशिश कर रही है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी 12 से 18 उम्मीदवार भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और कायस्थ वर्ग से उतार सकती है।
यह तेजस्वी यादव की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत पार्टी को M-Y (मुस्लिम-यादव) राजनीति की छवि से बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है।
कमजोर प्रदर्शन वाले विधायकों पर गिरेगी गाज
सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी यादव ने इस बार उम्मीदवार चयन में सख्ती दिखाई है। करीब एक दर्जन मौजूदा विधायकों के टिकट कटने की संभावना है। इनमें वे विधायक शामिल हैं जिनका पिछले कार्यकाल में प्रदर्शन कमजोर रहा या जो जनता के बीच अलोकप्रिय हो चुके हैं। तेजस्वी का मानना है कि “इस बार पार्टी में मेरिट और ग्राउंड कनेक्शन ही टिकट का आधार होगा।”
एनडीए के वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति
तेजस्वी यादव का यह “A टू Z फॉर्मूला” केवल नारा नहीं, बल्कि एनडीए के सामाजिक आधार में सेंध लगाने की ठोस रणनीति माना जा रहा है। राजद इस संदेश को मजबूती से प्रचारित करने में जुटी है कि वह “सबकी पार्टी” है – केवल यादवों की नहीं, बल्कि अति पिछड़ों, अगड़ों, दलितों और वंचितों की भी आवाज है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर तेजस्वी का यह प्रयोग सफल हुआ, तो यह न केवल राजद की छवि को नया रूप देगा, बल्कि बिहार की सियासी दिशा भी बदल सकता है।


