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तेजस्वी यादव ने फिर उठाया आरक्षण का मुद्दा, सीएम नीतीश को पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने की मांग

ByLuv Kush

जून 5, 2025
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पटना, 5 जून 2025 | राजनीतिक संवाददाता

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति में आरक्षण एक बार फिर बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाने और आरक्षण विधेयक को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल करने की मांग की है।

📝 तेजस्वी का पत्र: आरक्षण को कानूनी सुरक्षा देने की मांग

तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि वर्ष 2023 में महागठबंधन की सरकार के दौरान जातीय गणना करवाई गई थी। इसके आधार पर पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को कुल 65% आरक्षण और EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान किया गया था।

“इस ऐतिहासिक निर्णय से समाज के सबसे वंचित वर्गों को न्याय मिला, लेकिन बाद में पटना हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया,” — तेजस्वी यादव

तेजस्वी ने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 69% आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में डाला गया है, जिससे वह न्यायिक समीक्षा से बाहर है। उन्होंने मांग की कि बिहार में भी ऐसा ही कदम उठाया जाए।

👥 सर्वदलीय समिति की भी मांग

अपने पत्र में तेजस्वी यादव ने यह भी प्रस्ताव दिया कि एक सप्ताह के अंदर सर्वदलीय समिति बनाई जाए, जो इस विषय का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करे। इसके आधार पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए और विधेयक पारित कर उसे संविधान की नौंवी अनुसूची में डालने की अनुशंसा की जाए।

⚖️ भाजपा पर लगाया राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप

तेजस्वी यादव ने कहा कि यदि सरकार ऐसा नहीं करती, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि एनडीए सरकार जानबूझकर आरक्षण के मुद्दे को टाल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार भाजपा और आरएसएस की नीतियों पर चल रही है, जिनका उद्देश्य आरक्षण को कमजोर करना है।

💼 महागठबंधन सरकार में रोजगार देने का दावा

तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में महागठबंधन सरकार की उपलब्धियों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने लिखा कि उनके 17 महीने के कार्यकाल में लाखों युवाओं को नौकरी दी गई, और लगभग साढ़े तीन लाख नौकरियों की प्रक्रिया चल रही थी।

“हमने यह साबित किया कि इच्छाशक्ति हो तो युवाओं को रोजगार और समाज के वंचित वर्गों को हक़ दिया जा सकता है,” — तेजस्वी यादव

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