नई दिल्ली: दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने यहां ग्रीन पटाखों की बिक्री पर लगी रोक हटाने और सीमित समय के लिए पटाखे जलाने की अनुमति देने का फैसला सुनाया है।
कोर्ट का संतुलित रुख – जनता और पटाखा उद्योग को मिली राहत
मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एमिकस क्यूरी के सुझावों पर विचार किया। इन सुझावों में त्योहार के अवसर पर पटाखा उत्पादकों और जनता को राहत देने की सिफारिश की गई थी।
सीजेआई ने कहा कि ग्रीन पटाखों के अलावा अन्य पटाखों की तस्करी एक गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण और उत्सव की भावना के बीच संतुलन बनाने पर जोर दिया।
उन्होंने बताया कि हरियाणा के 14 जिले NCR क्षेत्र में आते हैं, यानी राज्य का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पटाखों पर लगी रोक से प्रभावित था।
पटाखों पर बैन से प्रदूषण में खास फर्क नहीं पड़ा – सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि त्योहारों के दौरान लोगों को सीमित समय में पटाखे जलाने की अनुमति दी जानी चाहिए। पटाखा उत्पादकों की ओर से भी दलील दी गई कि पराली जलाने और वाहनों से प्रदूषण का स्तर कहीं अधिक है, जबकि केवल पटाखों को ही निशाना बनाया जा रहा है।
कोर्ट को बताया गया कि 2018 में पटाखों पर बैन लगाने के बाद भी दिल्ली-एनसीआर के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में खास सुधार नहीं देखा गया।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “पटाखों पर पूरी तरह रोक से प्रदूषण में कोई बड़ा अंतर नहीं आया है, इसलिए उद्योग और जनता दोनों के हितों का ध्यान रखना जरूरी है।”
18 से 21 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति
कोर्ट ने कहा कि केवल नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) से लाइसेंस प्राप्त उत्पादकों को ही पटाखे बेचने की अनुमति दी जाएगी।
- बिक्री की अनुमति: 18 से 21 अक्टूबर तक
- बिक्री स्थल: सीमित और निर्धारित स्थानों पर
- केवल QR कोड वाले ग्रीन पटाखे ही बेचे जा सकेंगे।
सख्त निगरानी और सीमित समय में पटाखे जलाने की अनुमति
कोर्ट ने पेट्रोलिंग टीमों को सख्त निगरानी और सैंपल जांच के निर्देश दिए हैं। गैरकानूनी पटाखे बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
पटाखे जलाने का समय
- सुबह: 6:00 से 7:00 बजे तक
- शाम: 8:00 से 10:00 बजे तक
संतुलन का संदेश
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक संतुलित दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है – जहां एक ओर त्योहार की परंपरा को बनाए रखा गया है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण सुरक्षा और कानून व्यवस्था को भी प्राथमिकता दी गई है।


