
पूर्णिया, 23 मई 2025 – बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय में शुक्रवार को एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब छात्र नेता राजा कुमार और उनके साथियों ने कुलपति विवेकानंद सिंह सहित अन्य विश्वविद्यालय अधिकारियों को उनके कार्यालय में चार घंटे तक बंधक बना लिया। घटना को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
घटना कैसे हुई?
वाइस चांसलर विवेकानंद सिंह के अनुसार, उनके चैंबर में एक महत्वपूर्ण बैठक चल रही थी, तभी राजा कुमार जबरन प्रवेश कर गए। गार्ड को धक्का देकर अंदर घुसने के बाद उन्होंने मोबाइल बाहर रखने के आग्रह पर अभद्र व्यवहार किया। एक शिक्षक द्वारा शांत रहने की सलाह देने पर उन्होंने शिक्षक के साथ भी दुर्व्यवहार और धक्का-मुक्की की।
इसके बाद, राजा और उनके समर्थकों ने चेंबर के बाहर नारेबाजी शुरू की और चैंबर को बाहर से बंद कर दिया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने तत्काल स्थानीय थाने को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और सभी अधिकारियों को मुक्त कराया गया।
कुलपति का बयान:
“मैं अपने चेंबर में स्टाफ के साथ बैठक कर रहा था। अचानक छात्र नेता राजा कुमार अपने समर्थकों के साथ घुस आए और व्यवहार बेहद असंयमित था। उन्होंने चेंबर को बाहर से ब्लॉक कर दिया, जिससे हम चार घंटे तक अंदर ही फंसे रहे।”
– विवेकानंद सिंह, कुलपति, पूर्णिया विश्वविद्यालय
छात्रों का दावा: प्रशासन उन्हें फंसा रहा है
वहीं दूसरी ओर, छात्र नेता राजा कुमार ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। उनका कहना है कि वे कुलपति से पीएचडी एडमिशन टेस्ट 2023 के संशोधित परिणाम को लेकर मिलने गए थे, जिसमें पहले सफल घोषित 187 छात्रों को असफल कर दिया गया है।
“हम सिर्फ अपनी मांगों को लेकर कुलपति से मिलने गए थे। कोई बंधक जैसी घटना नहीं हुई। विश्वविद्यालय प्रशासन दबाव बनाकर फर्जी केस कर रहा है।”
– राजा कुमार, छात्र नेता
पीएचडी एडमिशन विवाद: असफल हुए सफल छात्र
छात्रों का आरोप है कि 10 मई को पीएचडी एडमिशन टेस्ट का एक नया रिजल्ट जारी किया गया, जिसमें पहले सफल घोषित छात्रों को असफल कर दिया गया। 187 छात्रों को अचानक फेल कर देना विश्वविद्यालय की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।
पुलिस जांच जारी
कटिहार सदर SDPO धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से स्थानीय थाने में लिखित आवेदन दिया गया है। पुलिस सभी पहलुओं की बारीकी से जांच कर रही है।
“हम मामले की पूरी गंभीरता से जांच कर रहे हैं। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
– धर्मेंद्र कुमार, SDPO, कटिहार
क्या कहता है कानून?
विश्वविद्यालय परिसर में जबरन घुसपैठ, कर्मचारियों को बंधक बनाना और शांति भंग करने जैसे मामले भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत दंडनीय अपराध हैं। पुलिस द्वारा FIR दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
पूर्णिया विश्वविद्यालय में छात्रों और प्रशासन के बीच टकराव एक गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। एक ओर जहां छात्र अपनी मांगों को जायज ठहरा रहे हैं, वहीं प्रशासन इसे कानून व्यवस्था की चुनौती बता रहा है। पुलिस जांच के बाद ही साफ होगा कि सच्चाई किसके पक्ष में है।