पटना, 18 जून 2025 – बिहार को बाल श्रम मुक्त राज्य बनाने की दिशा में अब ठोस रणनीति तैयार की जाएगी। बिहार राज्य बाल श्रम आयोग के पुनर्गठन के बाद मंगलवार को पहली परिचयात्मक बैठक राजधानी पटना के नियोजन भवन में आयोजित की गई, जिसमें बाल श्रम उन्मूलन को लेकर राज्य सरकार के आगामी कदमों की रूपरेखा तय करने की पहल की गई।
जुलाई के पहले सप्ताह में कार्य योजनात्मक बैठक
नवनियुक्त अध्यक्ष अशोक कुमार ने घोषणा की कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोग की कार्य योजनात्मक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें बाल श्रम उन्मूलन की ठोस रणनीति पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “बिहार को बाल श्रम से मुक्त कराना एक कठिन लक्ष्य है, लेकिन यदि सरकार, समाज, परिवार और प्रशासनिक तंत्र मिलकर काम करें, तो यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।”
समाज की सामूहिक भागीदारी पर जोर
बैठक में आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि इस मुहिम में हर विभाग, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और परिवार की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। उन्होंने बाल श्रम के खिलाफ जन-जागरूकता अभियान की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
सदस्यों ने किया आयोग के उद्देश्यों का समर्थन
बैठक में विधानसभा सदस्य श्रेयसी सिंह, विधान परिषद सदस्य रामविलास कामत, अनिल कुमार और रवीन्द्र प्रसाद सिंह सहित आयोग के अन्य सदस्य—सुशील कुमार और शौकत अली उपस्थित रहे। सभी सदस्यों ने आयोग के उद्देश्यों को समर्थन देते हुए कहा कि बाल श्रम के उन्मूलन में पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक समावेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
बिहार की उपलब्धियां और आगे की दिशा
सचिव-सह-श्रमायुक्त राजेश भारती ने बैठक में जानकारी दी कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहां चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया गया है। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष से बाल श्रमिकों को ₹25,000 की आर्थिक सहायता देने की पहल भी एक मॉडल उदाहरण के रूप में सामने आई है।
बाल श्रम मुक्त बिहार की ओर पहला ठोस कदम
इस बैठक को आयोग के भावी कार्यों की दिशा तय करने वाला एक अहम पड़ाव माना जा रहा है। सभी सदस्यों ने समयबद्ध कार्य योजना के साथ सक्रिय क्रियान्वयन का संकल्प लिया।
बिहार सरकार की यह पहल बाल श्रम जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दे पर नीति, भागीदारी और प्रतिबद्धता का स्पष्ट संकेत है। आने वाले समय में यदि इन योजनाओं का क्रियान्वयन समन्वय और संकल्प के साथ होता है, तो बिहार बाल श्रम मुक्त राज्य बनने की दिशा में एक मजबूत कदम आगे बढ़ा चुका होगा।