दाखिल-खारिज का आवेदन अटकाना CO और RO को पड़ा महंगा, अब खुद के जेब से भरने होंगे रुपए

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बिहार में जमीन से जुड़े कामों में पारदर्शिता और समयबद्धता लाने के लिए सरकार लगातार सख्त रुख अपना रही है। इसी कड़ी में अब दाखिल-खारिज के मामलों को लटकाने वाले अंचलाधिकारी (CO) और राजस्व कर्मचारी (RO) को आर्थिक दंड भी भुगतना पड़ रहा है। इसका ताजा उदाहरण मुजफ्फरपुर जिले से सामने आया है, जहां एक सीओ और एक आरओ पर भारी जुर्माना लगाया गया है।

क्या है पूरा मामला

जानकारी के अनुसार, मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन के आदेश पर एसडीओ (पूर्वी) अमित कुमार ने मीनापुर अंचलाधिकारी और राजस्व अधिकारी पर क्रमशः 30,000 और 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। आदेश के मुताबिक, दोनों अधिकारियों को तीन दिनों के भीतर दंड की राशि कोषागार में जमा करनी होगी। दंड जमा न करने तक उनका वेतन भी रोक दिया गया है।

कैसे खुला मामला

डीएम सुब्रत कुमार सेन ने 17 अप्रैल को मीनापुर अंचल कार्यालय का निरीक्षण किया था, जहां उन्होंने पाया कि दाखिल-खारिज के 1430 मामले लंबित थे। इस पर डीएम ने गहरी नाराजगी जाहिर की और स्पष्टीकरण मांगा। बाद में जांच में खुलासा हुआ कि करीब 250 मामले ऐसे थे, जिनका निष्पादन 60 दिनों के भीतर नहीं किया गया था। इसी आधार पर यह सख्त कार्रवाई की गई है।

कितना जुर्माना और क्यों

मामले की गंभीरता को देखते हुए अंचलाधिकारी पर प्रति लंबित मामला 150 रुपये के हिसाब से कुल 30 हजार रुपये और राजस्व अधिकारी पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। यह कदम जिले में सरकारी कामकाज को चुस्त-दुरुस्त करने की दिशा में एक बड़ा संदेश माना जा रहा है।

क्यों है यह फैसला अहम

भूमि एवं राजस्व विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने पहले ही कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। लेकिन अब सीधी आर्थिक सजा से साफ हो गया है कि विभाग लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा। इस फैसले के बाद विभागीय कर्मियों में हड़कंप मच गया है और माना जा रहा है कि अन्य जिलों में भी इसी तरह की सख्ती देखने को मिल सकती है।

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