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अयोध्या: वह ऐतिहासिक क्षण अब बहुत करीब है जिसका इंतजार देशभर के करोड़ों लोगों ने पीढ़ियों से किया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने घोषणा की है कि मुख्य राम मंदिर और उसके परिसर में छह छोटे मंदिरों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। 25 नवंबर को मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराने की परंपरा के साथ इसे औपचारिक रूप से पूर्ण घोषित किया जाएगा।


निर्माण कार्य की पूर्णता और धार्मिक महत्व

ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने बताया कि मुख्य मंदिर के साथ शिव, गणेश, हनुमान, सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा और शेषावतार को समर्पित मंदिर भी बनकर तैयार हैं। सप्त मंडप — जो ऋषि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी और अहल्या को समर्पित हैं — अब पूरी तरह निर्मित हो चुके हैं।
एल एंड टी कंपनी ने पत्थर की फर्श और सड़कों का कार्य पूरा किया है, जबकि जीएमआर समूह पंचवटी प्रोजेक्ट के तहत हरियाली का रखरखाव कर रहा है।


25 नवंबर को ऐतिहासिक ध्वज फहराने का आयोजन

23 से 25 नवंबर तक तीन दिवसीय भव्य आयोजन होगा। संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम दिन मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराएंगे। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र के अनुसार अब तक 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का दान प्राप्त हुआ है, जिसमें से लगभग 1,500 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। ध्वज का वजन 11 किलो और लंबाई 22 फीट होगी, जबकि उसका खंभा 11 फीट ऊँचा रहेगा। सेना की सहायता से यह परंपरागत रस्म निभाई जाएगी।


‘समरसता’ पर विशेष ज़ोर — समाज के हर वर्ग की भागीदारी

ट्रस्ट ने इस बार आयोजन की थीम ‘समरसता’ रखी है। उद्देश्य है यह संदेश देना कि राम मंदिर आंदोलन केवल धार्मिक या राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक है।
चंपत राय ने कहा, “हम चाहते हैं कि यह आयोजन समाज के हर वर्ग की भागीदारी का उत्सव बने।”


अयोध्या का बदलता चेहरा — आस्था से अर्थव्यवस्था तक

राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या अब धार्मिक नगर से आधुनिक पर्यटन नगरी में बदल रही है। एयरपोर्ट, नया रेलवे स्टेशन, चौड़ी सड़कों और होटल श्रृंखलाओं के साथ यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा तीर्थ-पर्यटन केंद्र बनता जा रहा है। योगी सरकार ने पिछले पाँच वर्षों में 3000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएँ अयोध्या में लागू की हैं।

स्थानीय शिक्षक वी. एन. अरोड़ा कहते हैं, “अब अयोध्या सिर्फ़ भक्ति का नहीं, बल्कि धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन चुकी है।”
वहीं दुकानदार रामसेवक बताते हैं, “पहले सिर्फ़ मंदिर की चर्चा होती थी, अब रोज़गार और सुविधाओं की भी बात होती है।”


राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य

राम मंदिर सदैव भारतीय राजनीति का केंद्र रहा है।
विश्लेषकों के अनुसार, यह भाजपा के लिए केवल चुनावी नहीं बल्कि वैचारिक उपलब्धि का प्रतीक है। राजनीतिक विश्लेषक प्रो. संजय कुमार कहते हैं, “अब चुनौती यह होगी कि भाजपा इस प्रतीक को विकास और राष्ट्रीय गौरव के कथानक से कैसे जोड़ती है।”


नई चेतना, नया युग

श्रीराम जन्मभूमि का पूर्ण निर्माण भारत के इतिहास में एक निर्णायक क्षण है। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि उस आंदोलन की परिणति है जिसने दशकों तक भारतीय समाज, संस्कृति और राजनीति को प्रभावित किया। अब अयोध्या केवल श्रद्धा का स्थल नहीं, बल्कि भारत की एकता, समरसता और सांस्कृतिक आत्मगौरव का प्रतीक बनकर उभर रही है।


 

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