पटना / नई दिल्ली, 18 जुलाई 2025: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। “लैंड फॉर जॉब” घोटाले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग वाली उनकी याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कार्यवाही पर रोक से इनकार किया गया था। हालाँकि, अदालत ने लालू यादव को ट्रायल कोर्ट में पेशी से अस्थायी छूट प्रदान की है और दिल्ली हाई कोर्ट को मामले की त्वरित सुनवाई के निर्देश दिए हैं।
हाई कोर्ट में लंबित है चार्जशीट रद्द करने की याचिका
इससे पहले, 29 मई 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने लालू यादव की एफआईआर रद्द करने की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया था और अगली सुनवाई की तिथि 12 अगस्त तय की है।
क्या है ‘लैंड फॉर जॉब’ मामला?
यह मामला 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री कार्यकाल से जुड़ा है। भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र (जबलपुर) में ग्रुप डी की नियुक्तियों के बदले उम्मीदवारों या उनके परिजनों द्वारा लालू यादव के परिवार को जमीन उपहार या हस्तांतरित करने के आरोप हैं।
इस मामले में सीबीआई ने 2022, 2023 और 2024 में तीन चार्जशीट दायर की हैं। सीबीआई की प्राथमिकी 18 मई 2022 को दर्ज हुई थी, जिसमें लालू यादव, उनकी पत्नी, दो बेटियों, कुछ अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया।
लालू यादव की दलीलें
लालू प्रसाद यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि:
- एफआईआर 14 साल पुराने मामले में दर्ज की गई, जबकि इसे पहले सीबीआई द्वारा बंद किया जा चुका था।
- बिना पूर्व स्वीकृति के जांच शुरू करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-A का उल्लंघन है।
- यह पूरी कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
- पहली जांच को दबाकर दोबारा केस खोलना अवैध है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लालू यादव को राहत नहीं मिली है, लेकिन उन्हें ट्रायल कोर्ट में पेशी से अस्थायी छूट जरूर दी गई है। अब इस मामले पर 12 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। यह केस लालू यादव की कानूनी चुनौतियों को और गहरा कर सकता है, खासकर 2025 के राजनीतिक परिदृश्य में।


