पटना, 28 मई 2025 — विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल विकास निगम, पटना द्वारा एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर समाज कल्याण विभाग की सचिव और महिला एवं बाल विकास निगम की प्रबंध निदेशक बंदना प्रेयषी ने कहा कि मासिक धर्म कोई बीमारी या शर्म की बात नहीं, बल्कि एक सामान्य और स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि माहवारी के दौरान महिलाएं क्या करेंगी, इसका निर्धारण समाज नहीं, बल्कि स्वयं महिलाएं करेंगी।
स्कूलों में लगेंगी वेंडिंग मशीनें, योजना को मिल रही है गति
बंदना प्रेयषी ने जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा सभी स्कूलों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें स्थापित करने की योजना को तेजी से लागू किया जा रहा है, ताकि छात्राओं को माहवारी के दौरान असहजता या शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े। अब तक राज्य के 209 स्कूलों, साथ ही पटना के कई कार्यालयों और महिला शौचालयों में इन मशीनों की स्थापना की जा चुकी है।
किशोरी स्वास्थ्य योजना से 22 लाख से अधिक बालिकाएं लाभान्वित
कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया गया कि मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत राज्य की 22 लाख 58 हजार 425 बालिकाओं को सालाना ₹300 की सहायता राशि दी जा रही है, ताकि वे स्वयं सेनिटरी नैपकिन खरीद सकें। यह पहल किशोरियों को स्वच्छता बनाए रखने और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक अहम कदम है।
टोल फ्री हेल्पलाइन 181 पर मिलेगा नि:शुल्क विशेषज्ञ परामर्श
बंदना प्रेयषी ने बताया कि महिलाएं और किशोरियाँ माहवारी से जुड़ी समस्याओं पर अब बिना झिझक सलाह ले सकती हैं। प्रत्येक बुधवार और गुरुवार को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक, कोई भी टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 181 पर कॉल करके स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों से नि:शुल्क परामर्श प्राप्त कर सकता है।
‘पैडमैन’ फिल्म और संवाद के माध्यम से बढ़ी समझ
कार्यक्रम में शामिल छात्राओं को माहवारी स्वच्छता पर आधारित फिल्म ‘पैडमैन’ भी दिखाई गई, जिससे उन्हें इस विषय को सहजता और आत्मविश्वास के साथ समझने का अवसर मिला। पद्मश्री सुधा वर्गीज (संस्थापक, नारी गुंजन) ने कहा कि किशोरावस्था में न केवल शारीरिक, बल्कि भावनात्मक बदलाव भी होते हैं और ऐसे में अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका मार्गदर्शन देने में अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।
सामाजिक चेतना का विषय बना माहवारी स्वच्छता
यूनिसेफ के वॉश विशेषज्ञ प्रभाकर सिन्हा ने कहा कि यह कार्यक्रम केवल सरकारी पहल नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना से जुड़ा हुआ आंदोलन है। मौके पर यूनिसेफ की मोना सिन्हा, मंजुषा चंद्रा और मार्गन सिन्हा सहित अन्य अतिथि भी उपस्थित रहे।
बिहार का साहसिक कदम
बिहार सरकार की यह पहल, मासिक धर्म जैसे संवेदनशील विषय पर खुली बातचीत और ठोस कार्यों की मिसाल बनती जा रही है। सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनों की स्थापना से लेकर हेल्पलाइन और वित्तीय सहायता तक—यह सब महिला स्वास्थ्य को केंद्र में रखने वाली एक प्रगतिशील सोच का परिचायक है।