बिहार चुनाव में RJD की नई रणनीति: कांग्रेस-भाकपा विवाद वाली चार सीटों पर नहीं करेगी प्रचार

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है। राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपने चुनावी अभियान में एक अहम बदलाव करते हुए कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के बीच विवादित चार विधानसभा सीटों — बछवाड़ा, करगहर, राजापाकर और बिहारशरीफ — पर प्रचार नहीं करने का फैसला किया है।

राजद का यह कदम महागठबंधन के भीतर संतुलन बनाए रखने और स्थानीय राजनीतिक समीकरणों को साधने की रणनीति के तहत बताया जा रहा है। इन चारों सीटों पर कांग्रेस और भाकपा के उम्मीदवार मैदान में हैं।


2020 के चुनाव का गणित

सूत्रों के अनुसार,

  • करगहर और राजापाकर में 2020 के चुनाव में कांग्रेस विजेता रही थी।
  • बछवाड़ा में भाकपा दूसरे स्थान पर रही थी।
  • बिहारशरीफ में न तो कांग्रेस और न ही भाकपा ने चुनाव लड़ा था; उस सीट पर राजद के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे।

इस बार इन चारों सीटों पर राजद ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, जो बताता है कि पार्टी गठबंधन की सीमाओं के भीतर रहकर चुनावी गणना कर रही है।


तेजस्वी यादव करेंगे प्रचार या नहीं — असमंजस बरकरार

महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव इन चार सीटों पर प्रचार करेंगे या नहीं, यह अभी तय नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि राजद की स्थानीय इकाइयों को निर्देश दिया गया है कि पहले जीत की संभावना का आकलन करें और फिर किसी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने या न करने पर फैसला लें।

यह साफ दिखाता है कि पार्टी इस बार सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक राजनीति अपना रही है — जहां हर कदम स्थानीय समीकरणों और गठबंधन हितों के हिसाब से तय किया जा रहा है।


‘दोस्ताना मुकाबला’ वाली सीटें भी बनी चर्चा का विषय

बिहार में इस बार कांग्रेस और राजद के बीच पांच सीटों पर दोस्ताना मुकाबला देखने को मिल रहा है —
नरकटियागंज, कहलगांव, सुल्तानगंज, वैशाली और सिकंदरा।

इन सीटों पर दोनों दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी उतारे हैं।

  • 2020 में इन क्षेत्रों में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी,
  • जबकि इस बार राजद भी मैदान में है

गुरुवार को शेखपुरा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सभा में भी गठबंधन की खींचतान झलकती दिखी।
सभा शेखपुरा से कांग्रेस प्रत्याशी विनोद चौधरी के समर्थन में थी, लेकिन राजद प्रत्याशी उदय नारायण चौधरी को मंच पर जगह नहीं दी गई। वहीं, राजद के उम्मीदवार विजय यादव राहुल गांधी के मंच पर मौजूद रहे।


राजद की जातीय और स्थानीय रणनीति पर फोकस

राजद इस चुनाव में अपनी रणनीति को दो स्तरों पर आगे बढ़ा रही है —

  1. जातिगत समीकरण और सामाजिक संतुलन,
  2. स्थानीय गठबंधन तालमेल और मत विभाजन रोकना।

पार्टी की कोशिश है कि भाकपा और कांग्रेस के बीच मतों का बंटवारा न हो, ताकि विपक्षी खेमे की जीत की संभावना मजबूत बनी रहे।


महिला और युवा वोटरों पर भी फोकस

राजद इस बार महिला मतदाताओं और युवाओं को लुभाने पर भी जोर दे रही है।
वहीं दूसरी ओर, एनडीए जाति, विकास, रोजगार और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर आक्रामक प्रचार अभियान चला रहा है।


जटिल हुआ चुनावी समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार मुकाबला सिर्फ दलों का नहीं, बल्कि रणनीति, समीकरण और नेतृत्व कौशल का भी होगा। महागठबंधन के भीतर की अंदरूनी खींचतान और एनडीए की एकजुटता — दोनों ही कारक इस बार राज्य की राजनीति को पहले से ज्यादा जटिल और प्रतिस्पर्धी बना रहे हैं।


 

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