पटना/नालंदा, बिहार | 31 मई 2025
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। एक तरफ एनडीए के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य बड़े नेता मैदान में उतरे हैं, तो वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी बिहार में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटे हुए हैं। खास बात यह है कि राहुल गांधी अगले महीने 6 जून को पांचवीं बार बिहार दौरे पर आ रहे हैं — और इस बार निशाना है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गढ़ – नालंदा।
राजगीर में करेंगे ‘अति पिछड़ा सम्मेलन’ को संबोधित
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 6 जून को नालंदा जिले के राजगीर में आयोजित ‘अति पिछड़ा सम्मेलन’ में हिस्सा लेंगे। यहां वे बिहार के पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित-महादलित समुदाय के लोगों को साधने की रणनीति पर काम करेंगे। इस सम्मेलन में राहुल गांधी कांग्रेस शासित राज्यों की योजनाओं और उपलब्धियों को गिनाते हुए जनता से संवाद करेंगे।
बदलती रणनीति: 27 मई से 6 जून तक का शेड्यूल बदला गया
गौरतलब है कि राहुल गांधी का बिहार दौरा पहले 27 मई को निर्धारित था, लेकिन बाद में इसमें बदलाव कर इसे 6 जून कर दिया गया। इस बदलाव के पीछे आंतरिक रणनीति और बिहार में जातीय समीकरणों को बेहतर ढंग से साधने की योजना बताई जा रही है।
लगातार हो रहे हैं बिहार दौरे: पिछड़ा और दलित वोट बैंक पर नजर
राहुल गांधी पिछले 5 महीनों में 5वीं बार बिहार आ रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि कांग्रेस बिहार को लेकर बेहद गंभीर है। पार्टी लगातार पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित वर्ग के वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। हर रैली, हर भाषण में राहुल गांधी इन समुदायों को कांग्रेस की प्राथमिकता बताने में जुटे हैं।
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मुख्य बिंदु:
- राहुल गांधी का अगला बिहार दौरा 6 जून को नालंदा जिले के राजगीर में
- पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित वर्ग को साधने के लिए ‘अति पिछड़ा सम्मेलन’
- बीते 5 महीनों में 5 बार बिहार दौरा कर चुके हैं राहुल गांधी
- कांग्रेस शासित राज्यों की उपलब्धियों का होगा ज़िक्र
- नीतीश कुमार के गढ़ में कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने की कोशिश
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राजनीतिक विश्लेषण:
इस बार राहुल गांधी का सीधा मुकाबला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रभाव वाले क्षेत्र में है। ऐसे में राजगीर का सम्मेलन कांग्रेस की जमीनी पकड़ और जातीय संतुलन साधने की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल की यह दौरा कांग्रेस को बिहार में कितनी मजबूती देता है, खासकर ऐसे समय में जब हर पार्टी अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने में लगी है।