पटना: बिहार भारतीय जनता पार्टी में लंबे समय से लंबित प्रदेश कमेटी के गठन की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुँच चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पाँच नए महामंत्रियों के चयन को लेकर जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का संतुलन साधते हुए नाम लगभग तय कर लिए हैं। उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रीय नेतृत्व की स्वीकृति मिलने के बाद इन नामों की आधिकारिक घोषणा शीघ्र की जाएगी।
10 महीने से रुकी थी प्रदेश कमेटी, अब जल्द होगा ऐलान
सम्राट चौधरी के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद ‘एक व्यक्ति, एक पद’ सिद्धांत के तहत उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था। इसके बाद जून-जुलाई 2024 में दिलीप जायसवाल को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, हालांकि औपचारिक नियुक्ति मार्च 2025 में हुई। अब जब विधानसभा चुनाव में महज़ छह महीने शेष हैं, तो संगठन के विस्तार की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है।
पाँच महामंत्रियों में पाँच जातियों को मिलेगा प्रतिनिधित्व
भाजपा अपने संगठन में सामाजिक संतुलन बनाने की रणनीति के तहत इस बार पाँच महामंत्रियों की नियुक्ति पाँच प्रमुख जातियों—ब्राह्मण, राजपूत, दलित, अति पिछड़ा और पिछड़ा—से करने जा रही है।
ब्राह्मण समुदाय:
- मृत्युंजय झा (मिथिला) – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े, मजबूत संगठनकर्ता माने जाते हैं।
- सुशील चौधरी – पूर्व उपाध्यक्ष, संगठनात्मक अनुभव और मिथिला क्षेत्र का प्रतिनिधित्व।
राजपूत समुदाय:
- विक्रम सिंह (शाहाबाद) – पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह के पुत्र, युवा और प्रभावशाली नेता।
- राजेंद्र सिंह – झारखंड में संगठन महामंत्री रह चुके हैं, अनुभव के आधार पर संभावित दावेदार।
दलित समुदाय:
- बेबी देवी (मुजफ्फरपुर) – पूर्व विधायक, महिला और दलित दोनों वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की रणनीति।
- संजय राम (नालंदा) – सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय, संगठन के पुराने कार्यकर्ता।
अति पिछड़ा वर्ग:
- प्रमोद चंद्रवंशी – विधान परिषद सदस्य, कुशल संगठनकर्ता।
- रामकुमार राय (सुपौल) – कोसी क्षेत्र से आते हैं, स्थानीय पकड़ मजबूत।
पिछड़ा वर्ग (कुर्मी):
- प्रेम रंजन पटेल (लखीसराय) – पूर्व विधायक, संगठन में वर्षों से सक्रिय।
- सरोज रंजन पटेल – वर्तमान में उपाध्यक्ष, किसान मोर्चा में कार्य कर चुके हैं।
इन जातियों से नहीं होंगे महामंत्री नियुक्त
बीजेपी ने पहले ही कुशवाहा जाति से सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री, भूमिहार जाति से विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री और बनिया समाज से दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बना रखा है। ऐसे में इन जातियों से किसी को महामंत्री बनाए जाने की संभावना नहीं है।
विशेषज्ञों की राय: जातीय संतुलन से साधे जाएंगे वोट बैंक
रवि उपाध्याय (राजनीतिक विश्लेषक):
“महामंत्रियों की नियुक्ति पूरी तरह सामाजिक समीकरण और चुनावी रणनीति को ध्यान में रखकर की जा रही है। भाजपा हर जाति और क्षेत्र को साधने की कोशिश कर रही है।”
कौशलेंद्र प्रियदर्शी (वरिष्ठ पत्रकार):
“वर्तमान में पाँच महामंत्रियों में से तीन को आयोग और बीस सूत्री कार्यक्रम में शामिल किया जा चुका है, दो लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में नए चेहरों की नियुक्ति तय है।”
डॉ. संजय कुमार (राजनीतिक विशेषज्ञ):
“भाजपा प्रत्येक महामंत्री को अलग-अलग क्षेत्र से लेकर आएगी ताकि स्थानीय प्रभाव और जातीय संतुलन दोनों साधा जा सके।”