पटना, 2 मई 2025:राज्य के किसानों को खरीफ 2025 मौसम में समय पर और समुचित मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराने हेतु उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने आज कृषि भवन स्थित कार्यालय में उर्वरक विनिर्माता/आपूर्तिकर्त्ता कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उर्वरकों की अनुमानित आवश्यकता
बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ 2025 (अप्रैल से सितंबर) के लिए बिहार में विभिन्न उर्वरकों की अनुमानित आवश्यकता निम्नलिखित है:
- यूरिया: 10.32 लाख मीट्रिक टन
- डी.ए.पी.: 2.20 लाख मीट्रिक टन
- एम.ओ.पी.: 50 हजार मीट्रिक टन
- कॉम्पलेक्स: 2.50 लाख मीट्रिक टन
- एस.एस.पी.: 75 हजार मीट्रिक टन
उप मुख्यमंत्री ने सभी कंपनियों को ससमय एवं पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
रैक पॉइंट और आपूर्ति व्यवस्था
बैठक में बताया गया कि राज्य के सात जिलों — अरवल, बांका, गोपालगंज, लखीसराय, शेखपुरा, सुपौल एवं शिवहर — में रैक पॉइंट अधिसूचित नहीं हैं। लखीसराय जिले के लिए क्यूल रैक पॉइंट को अधिसूचित करने हेतु केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है। साथ ही बांका, गोपालगंज, और सुपौल के लिए भी रैक बिंदु अधिसूचित करने के निर्देश दिए गए हैं।
परिवहन एवं विक्रेता प्रबंधन पर विशेष ध्यान
बैठक में उर्वरक कंपनियों द्वारा थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को दिए जाने वाले परिवहन भत्ते की समीक्षा की गई। कंपनियों को निर्देश दिया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 की परिवहन राशि की प्रतिवेदन रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
इसके अतिरिक्त, सीमावर्ती राज्यों (उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश) में प्रचलित परिवहन दरों की जानकारी एकत्र कर तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार करने और आवश्यकतानुसार केंद्र से संशोधन का अनुरोध करने के निर्देश दिए गए।
उर्वरक के साथ टैगिंग पर रोक
कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया कि किसानों को उर्वरक के साथ एफ.सी.ओ./नन-एफ.सी.ओ. उत्पादों की टैगिंग कर कोई बिक्री न की जाए। सभी खुदरा विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों पर उर्वरकों की उपयोगिता संबंधी जानकारी बैनर के रूप में प्रदर्शित करने को भी कहा गया है।
निगरानी, प्रशिक्षण और जवाबदेही
- सीमावर्ती जिलों में उर्वरक के संचालन पर विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
- विक्रेताओं को प्रशिक्षण-सह-समीक्षा बैठक आयोजित कर जागरूक करने की योजना बनाई गई है।
- जिन विक्रेताओं ने विगत वर्षों में उर्वरक का क्रय-विक्रय नहीं किया है, उन्हें चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी, और आवश्यकता अनुसार नए विक्रेताओं को प्राधिकार पत्र दिए जाएंगे।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी किसानों को उचित मूल्य पर, समय पर और गुणवत्तापूर्ण उर्वरक मिलना चाहिए। यदि कहीं शिकायत प्राप्त होती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।