प्रशांत किशोर का तीखा वार: “अशोक चौधरी का पूरा परिवार सभी पार्टियों में, जनता को बना रहे बुरबक”

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गोपालगंज | 18 जून 2025:बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। जन सुराज अभियान के नेता प्रशांत किशोर ने जदयू नेता अशोक चौधरी और उनके पूरे परिवार पर करारा हमला बोला है। गोपालगंज में जन संवाद कार्यक्रम के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की राजनीति अब ‘सत्ता में बने रहने की होड़’ में बदल चुकी है, जहां नेता और उनके परिवार सभी पार्टियों में अपनी पकड़ बनाए रखने में जुटे हैं।

प्रशांत किशोर ने अशोक चौधरी पर तंज कसते हुए कहा,

“अशोक चौधरी सर्वदलीय नेता हैं। उनके पिता कांग्रेस में विधायक और मंत्री थे, वे खुद जदयू से मंत्री हैं, उनकी बेटी लोजपा से सांसद हैं और अब उनके दामाद को भाजपा-संघ कोटे से धार्मिक न्यास बोर्ड का सदस्य बना दिया गया है। एक ही परिवार के लोग चार-चार दलों में बैठे हैं, सब मिलकर जनता को बुरबक बना रहे हैं।”

उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ऐसे लोगों को जनसेवा की चिंता है या सिर्फ सत्ता की भूख?

नीतीश सरकार की आलोचना

प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अब निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं। सरकार में बैठे लोग आयोगों और बोर्डों में अपने रिश्तेदारों और करीबियों को पद बांटने में लगे हैं।

“यह सरकार अब जनता के हित से ज्यादा, अपनों को पद देने में व्यस्त है। नीतीश जी की पकड़ अब पहले जैसी नहीं रही।”

नेता प्रतिपक्ष पर भी निशाना

बिना नाम लिए प्रशांत किशोर ने नेता प्रतिपक्ष पर भी कटाक्ष किया। कहा,

“जिस व्यक्ति के खुद के परिवार के 8 सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं, वह दूसरों पर परिवारवाद का आरोप लगा रहा है। यह ढोंग बंद होना चाहिए।”

प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि बिहार के युवाओं को अब नई राजनीतिक सोच की जरूरत है, जहां ईमानदारी और पारदर्शिता हो, न कि जाति और खानदान पर आधारित टिकट बंटवारा।


राजनीतिक विश्लेषण

प्रशांत किशोर का यह हमला न सिर्फ जदयू बल्कि भाजपा और लोजपा के गठजोड़ पर भी निशाना था। उन्होंने एक ही परिवार के चार दलों में मौजूद होने की बात कहकर यह दर्शाया कि बिहार की राजनीति में अब विचारधारा की जगह परिवार और सत्ता की साझेदारी ने ले ली है।


जनता के बीच लगातार पैठ बना रहे प्रशांत किशोर अब स्पष्ट शब्दों में यह कह रहे हैं कि बिहार को बदलाव की ज़रूरत है। आने वाले चुनावों में ऐसे बयानों का असर देखने को मिल सकता है।


 

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