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पटना, 27 सितंबर 2025: जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी द्वारा भेजे गए 100 करोड़ रुपये के मानहानि नोटिस का करारा जवाब दिया है। प्रशांत किशोर की ओर से उनके अधिवक्ता देवाशीष गिरि ने शनिवार को नोटिस का विस्तृत जवाब भेजते हुए इसे पूरी तरह निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित करार दिया।

पार्टी के प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने बताया कि जवाब में कहा गया है कि अशोक चौधरी ने तथ्यों को छिपाकर कानून का सहारा लेने की कोशिश की ताकि उनके खिलाफ उठ रहे सवालों को दबाया जा सके। उदाहरण के तौर पर, साल 2021 में योगेंद्र दत्त द्वारा चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को बिके प्लॉट की डीड (संख्या-2705) में साफ लिखा गया कि योगेंद्र दत्त को 34.14 लाख रुपये चेक, डिमांड ड्राफ्ट और नगद के माध्यम से दे दिए गए। अब योगेंद्र दत्त को कोई दावा नहीं है।

जवाब में यह भी बताया गया कि जून 2024 में शांभवी चौधरी सांसद बनीं, लेकिन अप्रैल 2025 में 25 लाख रुपये योगेंद्र दत्त को दिए गए, जिसे उनकी आय में शामिल नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, कथित तौर पर चौधरी के परिवार के नाम पर खरीदी गई जमीन और इमारतों की जांच में भारी विसंगतियां और बाजार मूल्य से कम कीमत दिखाने की बातें सामने आईं। स्थानीय स्रोतों और सार्वजनिक दस्तावेजों से पता चलता है कि ये संपत्तियां असल में चौधरी की हैं, जिन्हें परिवार और न्यास के नाम पर रजिस्ट्री कराया गया।

किशोर कुमार ने कहा कि जवाब में यह भी उल्लेख किया गया कि अशोक चौधरी वर्ष 2000 में कांग्रेस से विधायक बने और बाद में राजद का समर्थन लेकर मंत्री बने। इसके बाद कांग्रेस से निलंबन के बाद जदयू में शामिल होना उनके अवसरवाद और दल-बदल की राजनीति का उदाहरण है।

जवाब में स्पष्ट किया गया कि प्रशांत किशोर के द्वारा उठाए गए आरोप जनहित में उठाए गए मुद्दे हैं और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आते हैं। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों के कार्यों की समीक्षा करना जनता और राजनीतिक कार्यकर्ताओं का अधिकार है। कानूनी नोटिस भेजकर इसे दबाने का प्रयास लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।


 

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