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मोकामा: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान पटना जिले की मोकामा सीट एक बार फिर सुर्खियों में है। गुरुवार को जेडीयू प्रत्याशी और बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह तथा जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के काफिलों के बीच भिड़ंत हो गई। मामूली विवाद ने देखते ही देखते हिंसक रूप ले लिया — फायरिंग और पत्थरबाजी के बीच पीयूष समर्थक दुलारचंद यादव की गोली लगने से मौत हो गई।

इस घटना ने न केवल मोकामा बल्कि पूरे बिहार की सियासत को हिला दिया है।


अनंत सिंह के आरोपों पर सूरजभान सिंह का जवाब — “मैं कुछ नहीं कहूंगा, जांच ही सच्चाई बताएगी”

जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह ने दुलारचंद यादव हत्याकांड में राजद प्रत्याशी वीणा देवी के पति सूरजभान सिंह पर अप्रत्यक्ष आरोप लगाए थे।
अब सूरजभान सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा —

“मैं अनंत सिंह की बातों का कोई जवाब नहीं दूंगा। बस इतना कहूंगा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो।
जांच के बाद खुद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।”

उन्होंने इस घटना को “लोकतंत्र के लिए शर्मनाक” बताया और कहा कि चुनावी माहौल में इस तरह की हिंसा स्वीकार्य नहीं है।


“आचार संहिता में कैसे हुई फायरिंग?” — सूरजभान ने उठाए सवाल

सूरजभान सिंह ने चुनाव आयोग और प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा —

“जहाँ केवल 10 उम्मीदवार हैं और आदर्श आचार संहिता लागू है, वहाँ इस तरह की घटनाएँ कैसे हो रही हैं?
लोगों में भय और दहशत का माहौल है। मैं चाहता हूँ कि दोषियों को सजा मिले और निर्दोषों को परेशान न किया जाए।”

उन्होंने कहा कि इस घटना से लोगों का चुनाव प्रक्रिया और लोकतंत्र पर भरोसा कमजोर हो रहा है।


“रिटायर्ड जजों की बेंच बनाकर हो जांच” — निष्पक्षता की मांग

सूरजभान सिंह ने कहा कि इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया —

“चुनाव आयोग और पुलिस प्रशासन को चाहिए कि रिटायर्ड जजों की एक विशेष बेंच गठित की जाए।
जांच पारदर्शी और निष्पक्ष हो ताकि किसी भी पक्ष को नुकसान न हो।”

उन्होंने मीडिया से भी अपील की कि वे इस घटना को सनसनीखेज न बनाएं बल्कि न्याय प्रक्रिया पर ध्यान दें।


मोकामा में दहशत, सुरक्षा बढ़ाने की मांग

घटना के बाद मोकामा और आसपास के क्षेत्रों में तनाव और भय का माहौल है।
स्थानीय लोगों ने चुनाव आयोग से अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की है ताकि मतदान के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस हिंसा ने मतदाताओं के मन में असुरक्षा की भावना पैदा की है, जिससे मतदान प्रतिशत प्रभावित हो सकता है।


राजनीतिक असर — जेडीयू और राजद आमने-सामने

राजनीतिक तौर पर यह मामला जेडीयू और राजद की टक्कर को और गहराता दिख रहा है।
एक तरफ अनंत सिंह का आरोप, दूसरी तरफ सूरजभान सिंह का शांत जवाब — दोनों ही पक्ष अब जांच पर निर्भर हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जांच निष्पक्ष हुई, तो यह चुनावी माहौल में पारदर्शिता बहाल कर सकती है।


निष्कर्ष — “न्याय ही बहाल करेगा भरोसा”

मोकामा की यह घटना बिहार विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी राजनीतिक सुर्खी बन गई है।
सूरजभान सिंह के शब्दों में —

“सिर्फ निष्पक्ष जांच ही इस मामले में अंतिम समाधान दे सकती है और जनता का विश्वास बहाल कर सकती है।”

अब सबकी निगाहें प्रशासन और चुनाव आयोग पर हैं — क्या वे मोकामा की इस हिंसा को न्याय और शांति के रास्ते पर ले जा पाएंगे?


 

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