भागलपुर, बिहार – देश में आतंकवाद के खिलाफ एक प्रभावशाली कार्यवाही के रूप में प्रसिद्ध “ऑपरेशन सिंदूर” अब न केवल सैन्य सफलता की कहानी है, बल्कि इससे प्रेरणा लेकर भागलपुर के प्रसिद्ध मैंगोमेन अशोक चौधरी ने भी अपने आम बागान में एक नई किस्म के आम को जन्म देकर इसे “सिंदूर मैंगो” नाम दिया है।
सिंदूर आम: एक श्रद्धा, एक प्रतीक, एक प्रयोग
अशोक चौधरी, जिन्हें आम की नई-नई प्रजातियों को विकसित करने के लिए देशभर में जाना जाता है, ने अपने बागान “मधुवन” में इस विशेष आम की पूरी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। उन्होंने सावन के पवित्र महीने में मिट्टी से बनाए शिवलिंग पर “सिंदूर आम” को अर्पित कर इसकी शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि –
“जिस तरह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने देश से आतंकवाद के खात्मे में बेजोड़ सफलता दी, उसी तरह मेरा ‘सिंदूर आम’ भारतीय आम किसानों के लिए ‘फ्रूट फूल’ (फलदायी और समृद्धिकारक) साबित होगा।”
‘सिंदूर’ नाम के पीछे की सोच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय सेना की पहल पर शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुश्मनों के खिलाफ निर्णायक कार्यवाही की। अशोक चौधरी ने उसी भावना को अपने कृषि क्षेत्र में रूपांतरित करते हुए इस आम को राष्ट्रीय गौरव और किसान उन्नति का प्रतीक बना दिया है।
कैसा है ‘सिंदूर आम’?
‘सिंदूर आम’ को लेकर अभी शुरुआती प्रयोग चल रहे हैं, लेकिन अशोक चौधरी का दावा है कि –
- इसका रंग लालिमा लिए हुए सिंदूरी होता है।
- स्वाद में यह बहुत मीठा और रसीला है।
- यह आम जलवायु के प्रति सहनशील और उत्पादकता में अधिक है।
- बाजार में यह प्रतीकात्मक नाम के चलते विशेष मांग बना सकता है।
देशभक्ति और कृषि का संगम
मैंगोमेन ने बताया कि उनके लिए कृषि सिर्फ आजीविका नहीं, राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि –
“हर किसान एक सिपाही है, जो खेत के मोर्चे पर देश के लिए लड़ रहा है। ‘सिंदूर आम’ मेरी ओर से राष्ट्र और किसानों को एक छोटा सा समर्पण है।”
मधुवन बागान: नवाचार की प्रयोगशाला
भागलपुर का मधुवन बागान आम की सैकड़ों किस्मों के लिए जाना जाता है। अशोक चौधरी ने इससे पहले भी कई अनोखे आम जैसे ‘मोदी आम’, ‘पुष्पा आम’, ‘कोहिनूर आम’ जैसी किस्में विकसित कर सुर्खियां बटोरी हैं। अब ‘सिंदूर आम’ भी इसी सूची में एक भावनात्मक और अभिनव जोड़ है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे राष्ट्रीय अभियान से प्रेरित होकर ‘सिंदूर आम’ का जन्म न केवल कृषि नवाचार की मिसाल है, बल्कि यह दर्शाता है कि किसानों के दिलों में भी राष्ट्रप्रेम किस हद तक गहरा है। यदि इस आम को वाणिज्यिक रूप से अपनाया गया, तो यह निश्चित रूप से बिहार और भारत के किसानों की आमदनी बढ़ाने वाला एक क्रांतिकारी “फ्रूट फूल” साबित हो सकता है।


