20250623 155548
WhatsApp Channel VOB का चैनल JOIN करें

लेखिका: श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री

नई दिल्ली।चाहे वह बोर्डरूम हो या युद्धभूमि — मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त महिलाएँ ही समाज में परिवर्तन की वाहक होती हैं। महिलाओं के लिए अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानना और उसे विकसित करना अत्यंत आवश्यक है — और योग इसके लिए एक प्रभावशाली साधन है।

योग: भारत की सांस्कृतिक धरोहर, समग्र जीवनशैली का आधार

योग भारत की आत्मा में रचा-बसा है। यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि मन, शरीर और आत्मा का समन्वय है। भगवद्गीता में कहा गया है – “योगः कर्मसु कौशलम्”, अर्थात् ‘योग कर्मों में कुशलता है।’ सच्चा योग केवल आसन या ध्यान नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में समर्पण और दक्षता का प्रतीक है।

महिलाओं के सशक्तिकरण और बच्चों के पोषण में योग की भूमिका

महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में मेरा दृढ़ विश्वास है कि योग महिलाओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाता है। यह मानसिक तनाव को कम करता है, हार्मोन संतुलन को सुधारता है और संपूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

गर्भावस्था से लेकर मातृत्व तक, योग महिलाओं को शारीरिक और भावनात्मक रूप से तैयार करता है। प्रसव पूर्व योग गर्भवती महिलाओं को ऊर्जा, स्थिरता और आत्मबल देता है, जबकि प्रसवोत्तर योग माँ और शिशु दोनों के स्वास्थ्य को सहारा देता है।

आंगनवाड़ी नेटवर्क से योग को समाज तक पहुँचाने की पहल

देशभर की 25 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से योग को महिलाओं और बच्चों के जीवन में एकीकृत किया जा रहा है। ये कार्यकर्ता न केवल पोषण और स्वास्थ्य सेवाएँ देती हैं, बल्कि योग प्रशिक्षण और जानकारी भी प्रदान कर रही हैं।

योग: वैश्विक मान्यता और भारत की सांस्कृतिक संप्रभुता का प्रतीक

2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित किया गया। इस वर्ष की थीम “एक धरती, एक स्वास्थ्य के लिए योग” है, जो योग की सार्वभौमिकता और समावेशी भावना को दर्शाता है।

महिला नेतृत्व और आर्थिक समृद्धि में योग की भूमिका

प्रधानमंत्री मोदी ने महिला-नेतृत्वित विकास को प्राथमिकता दी है। विश्व बैंक का आकलन है कि यदि महिला श्रम बल में भागीदारी बढ़े, तो भारत की औद्योगिक उत्पादकता में 9% तक की वृद्धि हो सकती है। यह तभी संभव होगा जब हमारे पास मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ महिला कार्यबल हो।

बच्चों की भलाई के लिए योग का महत्व

आज के बच्चे स्क्रीन निर्भरता, तनाव और जीवनशैली विकारों से जूझ रहे हैं। योग उनके लिए एक प्राकृतिक, साक्ष्य-आधारित और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त समाधान है। यह एकाग्रता, स्मृति, नींद और भावनात्मक स्थिरता को बेहतर बनाता है।

सरकार की बहुआयामी रणनीति और योजनाएँ

मिशन सक्षम आंगनवाड़ी, पोषण 2.0, वन स्टॉप सेंटर, और बाल देखभाल संस्थानों के माध्यम से सरकार योग को सेवा और संरक्षण से जोड़ रही है। आयुष मंत्रालय के सहयोग से महिला और बाल केंद्रित विशेष योग मॉड्यूल्स तैयार किए गए हैं, जो इन केंद्रों में लागू हो रहे हैं।

महिलाओं की अग्रणी भूमिका: समसामयिक उदाहरण

हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर में कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसे महिला अधिकारियों के नेतृत्व ने स्पष्ट किया कि जब महिलाएँ मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त होती हैं, तो वे समाज में परिवर्तन की अगुवाई कर सकती हैं।

विकसित भारत@2047 की ओर योग की भूमिका

भारत की विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में योग एक संवेदनशील, सशक्त और लचीला समाज के निर्माण का आधार है। योग केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन है — व्यक्तिगत स्वास्थ्य और राष्ट्रीय समृद्धि की दिशा में एक सामूहिक प्रयास।

आइए, हम सभी मिलकर ‘स्वस्थ भारत’ की दिशा में योग को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं और अपने बच्चों व माताओं के उज्जवल भविष्य की नींव रखें।