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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे ज्यादा चर्चा जिस सीट को लेकर है, वह है मोकामा। यह सीट हमेशा से बाहुबल और राजनीति के संगम का केंद्र रही है। इस बार भी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है — एक ओर मोकामा के बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह, तो दूसरी ओर देश की राजनीति में “दादा” के नाम से मशहूर सूरजभान सिंह और उनका परिवार मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।

राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि सूरजभान सिंह की पत्नी और पूर्व सांसद वीणा देवी राजद (RJD) के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ सकती हैं। बताया जा रहा है कि इसको लेकर आज सूरजभान सिंह और तेजस्वी यादव के बीच मुलाकात भी हुई है।


अनंत सिंह का दो दशक का दबदबा

मोकामा सीट पर अनंत सिंह का दबदबा करीब दो दशकों से कायम है। वे 2005 से अब तक लगातार पांच बार चुनाव जीत चुके हैं — तीन बार जदयू (JDU) से, एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में और 2020 में राजद (RJD) के टिकट पर।

हालांकि 2022 में आर्म्स एक्ट के मामले में सजा मिलने के बाद उन्हें विधानसभा से अयोग्य ठहराया गया। इसके बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी राजद के टिकट पर मैदान में उतरीं और जीत हासिल कर अनंत सिंह के प्रभाव को बरकरार रखा।


मोकामा की सामाजिक और सियासी बुनावट

मोकामा विधानसभा सीट पटना जिले के अंतर्गत आती है। यहां की आबादी में भूमिहार, यादव, कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
अनंत सिंह का प्रभाव खासतौर पर भूमिहार समुदाय में मजबूत रहा है, लेकिन उन्होंने वर्षों में अन्य वर्गों में भी अच्छी पैठ बनाई है।


सूरजभान सिंह की एंट्री से बदल सकते हैं समीकरण

सूरजभान सिंह सिर्फ मोकामा तक सीमित नहीं हैं। उनका प्रभाव मुंगेर, नवादा, पटना, बलिया और आसपास के जिलों तक फैला हुआ है। वे लंबे समय तक रामविलास पासवान की लोजपा से जुड़े रहे, लेकिन चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच हुए विवाद के बाद उन्होंने अपनी सियासी राह बदल ली।

अब वे राजद के साथ जुड़कर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में नई राजनीतिक दिशा तलाश रहे हैं। अगर वीणा देवी राजद के टिकट पर मैदान में उतरती हैं, तो यह मुकाबला जातीय, संगठनात्मक और नेतृत्वीय समीकरणों का परीक्षण साबित होगा।


2025 में बनेगा हाई-प्रोफाइल मुकाबला

मोकामा विधानसभा सीट इस बार बिहार चुनाव की सबसे चर्चित जंग बनने जा रही है। एक ओर अनंत सिंह का पुराना जनाधार और स्थानीय पकड़ होगी, तो दूसरी ओर सूरजभान परिवार का व्यापक प्रभाव और राजनीतिक नेटवर्क।

यह मुकाबला सिर्फ बाहुबल बनाम बाहुबल नहीं, बल्कि नेतृत्व, रणनीति और जातीय समीकरणों की टक्कर भी होगा।
चाहे जीत किसी की भी हो, मोकामा सीट बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का सबसे हाई-वोल्टेज सियासी अखाड़ा बनने जा रही है, जो पूरे राज्य के चुनावी नैरेटिव को प्रभावित करेगी।


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