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एईएस यानी चमकी बुखार को लेकर हुई बैठक

ByLuv Kush

अप्रैल 8, 2025
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एईएस यानी चमकी बुखार को लेकर हुई बैठक

भागलपुर 08 अप्रैल 2025, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग बिहार सरकार श्री प्रत्यय अमृत के अध्यक्षता में एईएस यानी चमकी बुखार से बचाओ को लेकर ऑनलाइन बैठक बिहार के संबंधित जिलों के जिलाधिकारी, सिविल सर्जन एवं स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों के साथ की गई।

भागलपुर के समीक्षा भवन से जिलाधिकारी डॉक्टर नवल किशोर चौधरी, सिविल सर्जन डॉक्टर अशोक प्रसाद जेएलएमसीएच के अधीक्षक एवं अन्य पदाधिकारी गण ऑनलाइन जुड़े हुए थे। बैठक में बताया गया कि भागलपुर में चमकी बुखार का एक भी मामला अभी तक नहीं पाया गया है।

0 से 06 वर्ष तक के छोटे बच्चों में अप्रैल मई के महीना में चमकी बुखार यानी ए ई एस का प्रकोप मुजफ्फरपुर सहित तिरहुत प्रमंडल के कई जिलों में रहता है। जिसका प्रमुख कारण अचानक ग्लूकोज की कमी बताई जाती है। इसलिए संबंधित जिले के बच्चों को प्रतिदिन रात में कुछ मीठा, जैसे हलवा ,खीर इत्यादि खिलाकर सुलाने का प्रोटोकॉल जारी किया गया है। साथी यदि बच्चे में सुस्ती या अचानक बेहोशी का लक्षण दिखे तो तत्काल नजदीक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने का सुझाव दिया जाता है।
यद्यपि भागलपुर में चमकी बुखार का मामला नहीं पाया गया है तब भी अग्रिम बचाव के लिए प्रचार प्रसार करवाने तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रोटोकॉल के अनुरूप तैयारी रखने का निर्देश दिया गया है।

बैठक के अंत में जिलाधिकारी ने जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक तथा सिविल सर्जन को अपने इमरजेंसी में मरीजों को टेकल करने के तरीका में बदलाव करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि 10 साल से कम उम्र का बच्चा यदि इमरजेंसी में आता है तो उसे टैकल किया जाए ना कि रेफर किया जाए।
उन्होंने कहा कि रेफर करने के मामले में प्रायः देखा गया है कि मरीज का जो क्रिटिकल अवधि होती है वह समाप्त हो जाती है और इस प्रकार हम मरीज के जीवन को बचाने में नाकामयाब हो जाते हैं। इसलिए चिकित्सकों को मरीज को रेफर करने के बजाय जो उसका प्राथमिक उपचार है, वह किया जाना चाहिए ताकि कम से कम मरीज का जान बच जाए। उन्होंने अधीक्षक, जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल को इसे अपने अस्पताल में लागू करवाने को कहा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के जो क्वेक चिकित्सक होते हैं वे भी आकस्मिक समय में काफी मददगार साबित होते हैं। कोरोना काल में यह देखा गया। उन्हें भी अनौपचारिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। ताकि उनकी कुशलता में वृद्धि हो सके।

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