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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने की अध्यक्षता

नई दिल्ली, 30 जून 2025:अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के उपलक्ष्य में आज नई दिल्ली में “मंथन बैठक” का आयोजन किया गया। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक का उद्देश्य सहकारिता आंदोलन को मजबूती देना, राज्यों के अनुभवों और नीतियों का समन्वय करना और भविष्य की दिशा तय करना रहा।

बैठक में सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रयासों की समीक्षा की गई। देशभर के सहकारिता मंत्री, सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव और सहकारिता विभागों के अधिकारी इस महत्वपूर्ण आयोजन में शामिल हुए।

अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना, सहकारिता के पारंपरिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने और 21वीं सदी के परिप्रेक्ष्य में इसे सशक्त बनाने के उद्देश्य से की थी। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद मोदी सरकार ने करोड़ों लोगों को मूलभूत सुविधाएं जैसे घर, शौचालय, जल, बिजली, अनाज, स्वास्थ्य सुविधा और गैस उपलब्ध कराई हैं। अब ये लोग अपनी आजीविका बेहतर बनाना चाहते हैं, जिसके लिए सहकारिता मॉडल सबसे उपयुक्त विकल्प है।

श्री शाह ने बताया कि सहकारिता मंत्रालय ने अब तक 60 से अधिक पहल की हैं, जिनमें से एक है राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस। यह डेटाबेस देशभर में सहकारी संस्थाओं की उपस्थिति और संभावनाओं की पहचान करने में सहायक होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में देश के हर गांव में कम से कम एक सहकारी संस्था हो।

बैठक में यह भी कहा गया कि भारत में सहकारिता आंदोलन को कमजोर करने के तीन प्रमुख कारण रहे — समयानुसार कानूनों में बदलाव न होना, गतिविधियों का विस्तार न होना और भर्ती में भाई-भतीजावाद। इन समस्याओं के समाधान के लिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की परिकल्पना की गई है, जिससे प्रत्येक राज्य की कम से कम एक प्रशिक्षण संस्था को जोड़ा जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि जल्द ही राष्ट्रीय सहकारिता नीति घोषित की जाएगी, जो वर्ष 2025 से 2045 तक लागू रहेगी। इसके तहत प्रत्येक राज्य अपनी सहकारी नीति स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाएगा। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में नवाचार, पारदर्शिता और अनुशासन के लिए मॉडल अधिनियम लागू किया जाएगा।

बैठक के प्रमुख बिंदु:

  • देशभर में 2 लाख बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (M-PACS) की स्थापना का लक्ष्य।
  • डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को ग्रामीण सेवा वितरण से जोड़ना।
  • श्वेत क्रांति 2.0 के तहत टिकाऊ डेयरी अर्थव्यवस्था की पहल।
  • NCEL, NCOL, और BBSSL जैसी तीन राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी समितियों के कार्य का आकलन।
  • Cooperation Amongst Cooperatives मॉडल की सराहना और इसे अन्य राज्यों में अपनाने का सुझाव।

इसके अलावा, पैक्स और रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसायटी (RCS) कार्यालयों के कम्प्यूटरीकरण, साझा सेवा इकाई (SSE) की स्थापना, और शहरी सहकारी बैंकों के लिए एक अंब्रेला संगठन की योजना पर भी चर्चा की गई।

बैठक में सहकारिता और कृषि मंत्रियों को साथ मिलकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की अपील की गई ताकि जनस्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों का संरक्षण हो सके।

इस बैठक ने स्पष्ट किया कि सहकारिता मंत्रालय और राज्यों के बीच साझेदारी भारत के सहकारी आंदोलन को नया आयाम देने और समावेशी आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।