बिहार के सभी एनडीए सांसदों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान बिहार के सभी एनडीए सांसद मौजूद रहे लेकिन गया के हम सांसद और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहीं नजर नहीं आए। इस खास मुलाकात की तस्वीरें सामने आने के बाद बिहार की सियासत में मांझी को लेकर एक बार फिर से सियासी कयास तेज हो गए हैं।
दरअसल, जीतन राम मांझी का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि वह जिस भी गठबंधन में रहते हैं अपनी राजनीतिक महत्वकांझा को पूरा करने के लिए अपने सहयोगियों पर ही दबाव बनाने लगते हैं। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर जीतन राम मांझी अभी से ही सहयोगी बीजेपी पर दवाब बनाने लगे हैं। ऐसे कई मौके आए जब जीतन राम मांझी ने खुलकर कहा कि इस बार वह अपनी औकात जरूर दिखाएंगे।
जीतन राम मांझी ने पार्टी के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पिछले दिनों कहा था कि झारखंड और दिल्ली चुनाव में सीट नहीं मिलने पर कुछ नहीं बोले लेकिन बिहार चुनाव में इस तरह से नहीं चलने देंगे। हम सभी जगह महासम्मेलन कर एनडीए के लोगों को यह दिखाना चाहते है कि हम पार्टी का औकात क्या है? इससे पहले जीतन राम मांझी ने बिहार की 20 विधानसभा सीटों पर अपना दावा ठोका था।
मांझी यहीं नहीं रूके, इसके बाद बीते 2 फरवरी को एक तरफ पटना में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन लिट्टी पार्टी आयोजित कर रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके पिता केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने जहानाबाद में 20 से अधिक सिटों की डिमांड कर एक बार फिर से बीजेपी की टेंशन को बढ़ा दी थी और कहा था कि इस बार वह हर हाल में अपना हिस्सा लेकर रहेंगे। मांझी ने कहा था कि 20 से ज्यादा सीट मिलेगा तब न 20 सीट जीतेंगे।
शक्रवार को पीएम मोदी के साथ ग्रुप वीडियो में जेडीयू सांसद ललन सिंह, लोजपा (रामविलास) के चीफ और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और उनके सांसदों के अलावा बिहार के सभी सांसद मौजूद रहे लेकिन जीतन राम मांझी कहीं नजर नहीं आए। ऐसे में सियासी गलियारे में जीतन राम मांझी को लेकर कयासों का बाजार एक बार फिर से गर्म हो गया है और सियासी पंडित अपने-अपने तरीके से इसके मायने निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
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