मालदा, 29 नवंबर 2025: रेल यात्रियों की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन तैयारियों को मजबूत बनाने के लिए पूर्व रेलवे के मालदा मंडल ने शुक्रवार को साहिबगंज रेलवे स्टेशन यार्ड में पूर्ण पैमाने पर मॉक ड्रिल का सफल आयोजन किया। यह अभ्यास मंडल रेल प्रबंधक (DRM) मनीष कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन में तथा वरिष्ठ मंडल सुरक्षा अधिकारी ताराचंद के नेतृत्व में किया गया। मॉक ड्रिल में NDRF 9वीं बटालियन, पटना की टीम भी शामिल रही।
कैसे हुई काल्पनिक दुर्घटना की शुरुआत?
मॉक ड्रिल के लिए एक काल्पनिक ट्रेन दुर्घटना का परिदृश्य तैयार किया गया।
सुबह 11:35 बजे प्लेटफॉर्म संख्या 03 की लाइन 04 से रवाना हो रही ट्रेन को “दुर्घटनाग्रस्त” घोषित किया गया। इसके बाद:
- सूचना तुरंत मालदा रेलवे रेस्क्यू टीम को भेजी गई
- साहिबगंज यार्ड में पूछताछ केंद्र और सहायता काउंटर खोले गए
- विभिन्न रेलवे विभागों ने मौके पर पहुँचकर स्थिति का आकलन किया
- लगभग दो घंटे चले इस अभियान के बाद ट्रैक की “पूर्ण बहाली” घोषित की गई
स्थिति को पूरी तरह वास्तविक बनाने के लिए टीमों ने ठीक उसी तरह काम किया जैसे किसी असली दुर्घटना के दौरान किया जाता है।
वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद, ART टीम तुरंत पहुंची
अभ्यास के दौरान अपर मंडल रेल प्रबंधक (ADRM) शिव कुमार प्रसाद सहित विभिन्न शाखाओं के वरिष्ठ अधिकारी, स्काउट्स एवं गाइड्स दल और NDRF की टीम मौके पर मौजूद रही।
सबसे अहम बात—
एक्सीडेंट रेलिफ ट्रेन (ART), साहिबगंज से तुरंत रवाना होकर कुछ ही समय में “दुर्घटना स्थल” पर पहुँच गई, जिससे रेलवे की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का सफल परीक्षण हुआ।
कई विभागों ने दिखाया समन्वय
मॉक ड्रिल में रेलवे के लगभग सभी महत्वपूर्ण विभागों ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे:
- संरक्षा विभाग
- चिकित्सा
- यांत्रिक
- इंजीनियरिंग
- परिचालन
- विद्युत
- दूरसंचार
- वाणिज्य
- सुरक्षा विभाग
प्रत्येक विभाग ने अपनी-अपनी भूमिका निभाई और आपसी तालमेल के साथ राहत और बचाव कार्यों का संचालन किया।
क्या था इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य?
इस अभ्यास का उद्देश्य था:
- आपदा के समय रेलवे कर्मचारियों की प्रतिक्रिया क्षमता का परीक्षण
- निर्णय लेने की प्रक्रिया और समय का आकलन
- राहत-बचाव कार्यों की वास्तविक चुनौतियों की पहचान
- विभागीय समन्वय और संचार व्यवस्था को मजबूत बनाना
- आधुनिक उपकरणों के उपयोग में दक्षता बढ़ाना
NDRF के साथ संयुक्त रूप से किए गए इस अभ्यास से दोनों टीमों को एक-दूसरे की कार्यप्रणाली और टेक्निकल समझ को बेहतर ढंग से जानने का अवसर मिला।
“गोल्डन आवर” को मजबूत करने पर दिया गया जोर
रेल दुर्घटना के बाद शुरू के 60 मिनट यानी गोल्डन आवर को जीवन बचाने का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है।
इस मॉक ड्रिल के माध्यम से:
- घायलों को निकालने
- प्राथमिक उपचार देने
- अस्पताल पहुँचाने
की पूरी प्रक्रिया को तेज और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में रेलवे और NDRF ने संयुक्त रूप से कौशल का प्रदर्शन किया।
वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति
मॉक ड्रिल के दौरान उपस्थित प्रमुख अधिकारियों में शामिल थे:
- वरिष्ठ मंडल यांत्रिक अभियंता — रत्नेश कुमार
- वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक — अमरेन्द्र कुमार मौर्य
- वरिष्ठ मंडल अभियंता (समन्वय) — नीरज कुमार वर्मा
- वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक — कार्तिक सिंह
- एवं मालदा मंडल के अन्य शाखा अधिकारी


