न्यायिक व्यवस्था में बड़ा सुधार: बिहार में 100 फास्ट ट्रैक कोर्ट का होगा गठन, 79 अदालतें आर्म्स एक्ट के मामलों की सुनवाई करेंगी

बिहार सरकार ने लंबित मामलों के त्वरित निपटारे को तेज करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य में 100 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए जाएंगे, जिनमें से 79 नवगठित अदालतें विशेष रूप से शस्त्र अधिनियम (आर्म्स एक्ट) से जुड़े लंबित मामलों की सुनवाई करेंगी। इससे न केवल आपराधिक मुकदमों के निपटारे में तेजी आएगी, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और मजबूती भी बढ़ेगी।

उप मुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने रविवार को बताया कि फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन राज्य के सभी 38 जिलों में किया जाएगा। अदालतों की संख्या प्रत्येक जिले में वहां की आबादी और लंबित मामलों की संख्या को ध्यान में रखकर तय की गई है।

किस जिले में कितनी फास्ट ट्रैक कोर्ट?
पटना: 8 अदालतें (सबसे अधिक)
गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर: 4–4 अदालतें
नालंदा, रोहतास, सारण, बेगूसराय, वैशाली, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, मधुबनी: 3–3 अदालतें

इस तरह राज्य के हर हिस्से में न्यायिक गति बढ़ाने की दिशा में एक समग्र ढांचा तैयार किया गया है।

अदालतें चलाने के लिए 900 पदों पर नियुक्ति प्रस्तावित
प्रत्येक फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुचारू संचालन के लिए 8 तरह के कुल 900 पदों पर नियुक्ति प्रस्तावित है। इनमें शामिल हैं—
– बेंच क्लर्क
– कार्यालय लिपिक
– स्टेनोग्राफर
– डिपोज़िशन राइटर
– डेटा एंट्री ऑपरेटर
– ड्राइवर
– प्रोसेस सर्वर
– चपरासी

इन नियुक्तियों से न्यायिक कार्यों में तेजी आएगी और कोर्ट मैनेजमेंट की दक्षता भी बढ़ेगी।

राज्य सरकार का मानना है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट के इस बड़े नेटवर्क से आपराधिक मामलों, खासकर आर्म्स एक्ट जैसे संवेदनशील मामलों के त्वरित निपटारे में बड़ी मदद मिलेगी। इससे कानून–व्यवस्था की स्थिति मजबूत होगी और न्याय दिलाने में होने वाली देरी कम होगी।

 

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