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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में कोर्ट ने संजय रॉय को दोषी करार दिया है। स्यालदा कोर्ट ने कहा कि सोमवार को दोपहर 12.30 बजे इस मामले पर अगली सुनवाई होगी। इस दौरान संजय रॉय को बोलने का मौका दिया जाएगा और अदलात उसको सजा सुनाएगी। इससे पहले संजय रॉय ने खुद को निर्दोष बताते हुए अपनी रुद्राक्ष माला का जिक्र किया। संजय रॉय ने कहा कि अगर उसने अपराध किया होता तो क्राइम सीन पर उसकी रुद्राक्ष की माला जरूर मिलती।

पश्चिम बंगाल पुलिस में वॉलंटियर के रूप में काम करने वाले संजय रॉय ने कहा कि डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में उसे झूठा फंसाया गया है। जिस अस्पताल के सेमिनार हॉल में डॉक्टर की हत्या हुई थी, उसके पास घूमते हुए संजय रॉय सीसीटीवी कैमरे में नजर आया था। उसने शनिवार को दावा किया कि अपराध के उसली दोषियों पर मुकदमा नहीं चलाया गया।

संजय रॉय ने क्या कहा?

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार संजय ने कहा, “मुझे झूठा फंसाया गया है। मैंने ऐसा नहीं किया है। जिन्होंने ऐसा किया है, उन्हें छोड़ दिया जा रहा है। इसमें एक आईपीएस शामिल है।” इसके जवाब में जज ने कहा, “आरोपी की सुनवाई सोमवार को होगी। अब उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा है। उसकी सजा सोमवार को सुनाई जाएगी। मैंने मामले की सुनवाई के लिए 12:30 बजे का समय तय किया है।” इस मामले में पिछले साल नवंबर के महीने में बंद कमरे में सुनवाई शुरू हुई थी और लगभग दो महीने बाद फैसला सुनाया गया है।

संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 (जो बलात्कार को नियंत्रित करती है) तथा अधिनियम की धारा 66 और 103 (1) (जो हत्या के लिए दंड से संबंधित है) के तहत दोषी ठहराया गया। बीएनएस की धारा 103 (1) में अधिकतम सजा मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता के माता-पिता ने दोषी करार दिए जाने के लिए न्यायाधीश को धन्यवाद दिया और कहा कि अदालत ने उनके भरोसे का सम्मान किया है।

क्या है मामला?

नौ अगस्त को 28 वर्षीय पीजी ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म हुआ था और उसकी हत्या कर दी गई थी। मेडिकल स्टुडेंट का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में पाया गया था। इस मामले में कोलकाता पुलिस के वॉलंटियर संजय रॉय को अगले दिन गिरफ्तार कर लिया गया था। जांचकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उसने अकेले ही यह काम किया, लेकिन पीड़ित के परिवार और जूनियर डॉक्टरों के समूह को इसमें बड़ी साजिश का संदेह था।

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