“का बाबा, का हाल बा…” से शुरू हुई बात ‘रेकी करावत बाड़’ पर बिगड़ी, और गाली-गलौज में बदल गई
पटना | गैंगस्टर चंदन मिश्रा की पटना के पारस अस्पताल में गोली मारकर हत्या कर दी गई। लेकिन इस सनसनीखेज मर्डर की पटकथा चार दिन पहले ही लिख दी गई थी—जब बंगाल के पुरुलिया जेल से चंदन को उसके पुराने साथी शेरू सिंह ने कॉल किया।
इस कॉल में शुरुआत सामान्य हालचाल से हुई, लेकिन जल्द ही बात बिगड़ गई। चंदन ने शेरू पर ‘रेकी कराने’ का आरोप लगाया, और फिर दोनों के बीच जमकर गाली-गलौज और धमकीबाजी हुई।
शेरू: “का बाबा… प्रणाम… सब ठीक बा नू?”
चंदन: “हां… बाबू साहेब सब ठीक बा।”
चंदन: “बाबू साहेब… सुननी ह कि तू हमार रेकी करावतरअ।”
शेरू: “न बाबा अड्सन कवनो बात नइखे।”
ये बातचीत 13 जुलाई को हुई थी। और चार दिन बाद, 17 जुलाई को, अस्पताल के वार्ड में घुसकर शेरू के गुर्गों ने चंदन को 32 गोलियां मार दीं।
प्लान पटना एम्स में, अंजाम पारस में
पुलिस सूत्रों के अनुसार, शेरू गैंग की पहली कोशिश थी कि चंदन मिश्रा की हत्या पटना एम्स में की जाए। चंदन वहाँ फिस्टुला के इलाज की जानकारी लेने गया था और उसके साथियों ने वहाँ रील्स भी बनाई थी। लेकिन सही समय और भीड़ की वजह से वारदात को अंजाम नहीं दिया जा सका।
15 जुलाई को जब चंदन पारस अस्पताल में भर्ती हुआ, तभी वारदात की जमीन तैयार हो गई। दो दिन बाद उसे मार दिया गया।
2007 से शुरू हुई दोस्ती बनी दुश्मनी की वजह
शेरू सिंह और चंदन मिश्रा की दोस्ती 2007 में बाल सुधार गृह से शुरू हुई थी। दोनों की उम्र तब महज 14-15 साल थी। चंदन जहाँ पिता श्रीकांत मिश्रा के कारण जुर्म की दुनिया में आया, वहीं शेरू अपने चाचा की हत्या में बंद था।
जेल में दोनों की बड़ी डील हुई—शेरू ने वादा किया कि वो चंदन और उसके परिवार की आर्थिक मदद करेगा। बाहर आने के बाद चंदन ने शेरू के इशारे पर हत्या, लूट और रंगदारी की कई घटनाओं को अंजाम दिया।
साथ-साथ की तीन हत्याएं और फिर खटास
2009 में दोनों ने मिलकर भरत राय की हत्या, फिर जेल के एक मुंशी की हत्या और इस्लाम मियां के भतीजे को मारकर बदला लिया। लेकिन 2011-12 में जब दोनों कलकत्ता से पकड़े गए, तभी से दरार आ गई।
शेरू ने कोर्ट-कचहरी और परिवार की जिम्मेदारी निभाने से मना कर दिया। चंदन इस विश्वासघात से आहत था।
फायरिंग में हुआ खुलासा – रास्ते अब जुदा हैं
एक पेशी के दौरान शेरू और चंदन को भागलपुर जेल से बक्सर कोर्ट लाया गया। शेरू के गुर्गों ने कोर्ट परिसर में फायरिंग कर दो सिपाहियों को घायल कर दिया और शेरू हथकड़ी समेत फरार हो गया। वहीं चंदन कोर्ट में ही खड़ा रहा।
तभी से पुलिस और अपराधियों की दुनिया में साफ हो गया—अब दोनों रास्ते अलग हो चुके हैं, और ये गैंगवार एक दिन खूनी अंजाम तक पहुंचेगी।
अब क्या अगला अध्याय?
पुलिस की जांच इस दिशा में जारी है कि शेरू ने जेल में रहकर हत्या की साजिश कैसे रची, किस मोबाइल का इस्तेमाल किया गया, और किन गुर्गों ने पारस अस्पताल में वारदात को अंजाम दिया।
पटना की सड़कों से लेकर बंगाल की जेल तक, चंदन-शेरू गैंगवार ने अपराध की दुनिया को हिला कर रख दिया।