नई दिल्ली/रांची, 4 अगस्त 2025: झारखंड की राजनीति के शिखर पुरुष, आदिवासी समाज के महानायक और झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं हैं। सोमवार सुबह 8:56 बजे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे किडनी और ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और बीते एक महीने से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर यह दुखद समाचार साझा करते हुए लिखा:
“आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं…”
आदिवासी चेतना की सबसे बुलंद आवाज़
शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, वे एक आंदोलन थे, जिन्होंने झारखंड को भारत के नक्शे पर एक अलग पहचान दिलाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। उन्हें झारखंड के आदिवासी समाज में ‘दिशोम गुरु’ यानी ‘देश का गुरु’ के रूप में पूजा जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी सहित देशभर में शोक की लहर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फोन पर बात कर संवेदना जताई। उन्होंने कहा:
“शिबू सोरेन ने दशकों तक आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनके योगदान को देश कभी नहीं भूलेगा।”
तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री, आठ बार लोकसभा सांसद
- 2005, 2008 और 2009 में तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने
- 8 बार लोकसभा और 3 बार राज्यसभा सांसद चुने गए
- केंद्र सरकार में कोयला मंत्री सहित विभिन्न मंत्रालयों में अपनी सेवाएं दीं
- उन्होंने झारखंड अलग राज्य आंदोलन का नेतृत्व करते हुए हजारों युवाओं को जोड़ा
अंतिम समय तक लड़ते रहे बीमारी से
शिबू सोरेन को जून के अंत में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती किया गया था। उन्हें स्ट्रोक आया था, और फिर किडनी फेल्योर जैसी जटिलताएं सामने आईं। डॉक्टर्स की एक टीम उनकी हालत पर लगातार निगरानी रखे थी, लेकिन हालात नहीं संभले।
अब झारखंड शोक में डूबा है
राज्य सरकार ने दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। अंतिम संस्कार डुमका जिले के पैतृक गांव नीमरा में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर पहले दिल्ली से रांची और फिर डुमका ले जाया जाएगा, जहां हजारों की संख्या में लोग उन्हें अंतिम विदाई देने जुटेंगे।
दिशोम गुरु: जो आदिवासी आंदोलन का चेहरा बने
शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए धरती से संसद तक संघर्ष किया।
उनकी जीवन यात्रा प्रेरणादायक रही — गरीबी से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति तक पहुंचने का एक उदाहरण।
वे झारखंड के पहले नेता थे जिन्होंने दिल्ली में सत्ता के गलियारों में झारखंड की आवाज बुलंद की।
✦ दिशोम गुरु को श्रद्धांजलि ✦
“आप चले गए, लेकिन आपकी विचारधारा, संघर्ष और झारखंड के लिए आपका समर्पण हमेशा जीवित रहेगा।”
Voice of Bihar परिवार की ओर से श्रद्धांजलि।


