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नई दिल्ली/गुवाहाटी, 25 मई 2025 – देश के पूर्वोत्तर राज्यों में निवेश और विकास को नई गति देने के उद्देश्य से आयोजित ‘राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025’ में 4.3 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। दो दिवसीय समिट (23-24 मई) के दौरान 8 महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) भी साइन किए गए। सरकार ने रविवार को यह जानकारी साझा की।

पूर्वोत्तर बना वैश्विक साझेदारी का केंद्र: सिंधिया

केंद्रीय संचार और उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि,

“पूर्वोत्तर अब वैश्विक साझेदारी और आपसी हित के केंद्र के रूप में उभर चुका है। यह क्षेत्र भारत की भावी आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर है।”

उन्होंने बताया कि समिट में 80 से अधिक देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया — जापान, यूरोपीय देशों और आसियान देशों से आए प्रतिनिधियों ने पूर्वोत्तर की क्षमता की एक स्वर में सराहना की।

पीएम मोदी की प्रतिबद्धता से संभव हुआ यह बदलाव

सिंधिया ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताते हुए कहा,

“प्रधानमंत्री मोदी की दूरदृष्टि और इस क्षेत्र के प्रति उनके विशेष जुड़ाव ने पूर्वोत्तर को पुनः भारत के विकास मानचित्र पर ला खड़ा किया है।”

उन्होंने याद दिलाया कि आजादी के बाद छह दशकों तक उपेक्षित रहे इस क्षेत्र की विशाल संभावनाओं को पहली बार गंभीरता से अपनाया गया है — एक ऐसा क्षेत्र जिसने कभी भारत के GDP में 20% योगदान दिया था।

अदाणी समूह का बड़ा ऐलान: 50,000 करोड़ का नया निवेश

देश के कई प्रमुख उद्योगपतियों ने समिट में भाग लिया।
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने पूर्वोत्तर में अगले 10 वर्षों में अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की। इससे पहले फरवरी 2025 में उन्होंने असम में भी इतने ही निवेश का ऐलान किया था।

शिक्षा में भी हो रहा अभूतपूर्व निवेश: पीएम मोदी

समिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में 21,000 करोड़ रुपए का निवेश सिर्फ शिक्षा क्षेत्र में किया गया है। इस दौरान उन्होंने उल्लेख किया कि:

  • 800+ नए स्कूलों की स्थापना
  • क्षेत्र का पहला AIIMS
  • 9 नए मेडिकल कॉलेज
  • 2 नए IITs

पीएम मोदी ने कहा,

“पूर्वोत्तर अब न केवल निवेश का केंद्र है, बल्कि प्रतिभा का भी नया हब बन रहा है।”

राइजिंग नॉर्थ ईस्ट समिट 2025 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के विकास की अगली लहर पूर्वोत्तर से उठने वाली है — एक ऐसा क्षेत्र, जो अब संभावनाओं से नहीं, बल्कि निवेश और नीति के माध्यम से अवसरों में बदल रहा है।