पटना, 23 मई 2025:राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति को प्रभावी बनाने की दिशा में निगरानी विभाग द्वारा निर्णायक कदम उठाए जा रहे हैं। गुरुवार को सूचना भवन, पटना के संवाद कक्ष में निगरानी विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अरविंद कुमार चौधरी ने राज्य के विभिन्न प्रशासी विभागों के मुख्य निगरानी पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।
शिकायतों की तत्परता से जांच और निरीक्षण का निर्देश
अपर मुख्य सचिव ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि राज्य योजनाओं में भ्रष्टाचार संबंधी प्राप्त शिकायतों की जांच एवं औचक निरीक्षण कार्यों में तेजी लाई जाए। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों के आलोक में भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में तुरंत और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
ऑनलाइन परिवादों और अभियोजन स्वीकृति की समीक्षा
बैठक में ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त परिवादों की जांच की स्थिति, अभियोजन स्वीकृति के लंबित मामलों और पूर्व में लिए गए निर्णयों की समीक्षा की गई। जानकारी के अनुसार:
- शिक्षा विभाग में सर्वाधिक 336 मामले लंबित हैं – जिन्हें दो माह में निष्पादित करने के निर्देश दिए गए।
- अन्य प्रमुख विभागों में:
- नगर विकास एवं आवास विभाग: 160 मामले
- स्वास्थ्य विभाग: 142 मामले
- मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग: 82 मामले
- परिवहन विभाग: 62 मामले
- ग्रामीण विकास विभाग: 78 मामले
- पंचायती राज विभाग: 61 मामले
- गृह विभाग: 79 मामले
- सामान्य प्रशासन विभाग: 25 मामले
इन सभी को एक महीने के भीतर निष्पादित करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए।
निगरानी पोर्टल पर दिया गया प्रशिक्षण
बैठक में NIC, पटना के संयुक्त निदेशक द्वारा निगरानी विभाग के लिए विकसित पोर्टल पर तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया गया, जिससे शिकायतों की डिजिटल ट्रैकिंग और रिपोर्टिंग अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो सके।
साझा प्रयास की जरूरत पर बल
बैठक में उपस्थित विशेष निगरानी इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक श्री पंकज कुमार दाराद ने कहा, “हम सब एक टीम की तरह कार्य कर रहे हैं और जहाँ भी जरूरत होगी, हम सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।”
बैठक में वरिष्ठ अधिकारी रहे मौजूद
इस समीक्षा बैठक में निगरानी विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे जिनमें शामिल हैं:
- श्रीमती एस. प्रेमलता (पुलिस महानिरीक्षक, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो)
- श्री रामा शंकर (संयुक्त सचिव, निगरानी विभाग)
- श्रीमती अंजू सिंह (संयुक्त सचिव, विधि)
- श्री राज कुमार (अभियंता प्रमुख, तकनीकी परीक्षक कोषांग)
- श्री विनय कुमार (पुलिस महानिरीक्षक, बिहार पुलिस मुख्यालय)
- श्रीमती रचना पाटिल (विशेष सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग)
साथ ही अन्य विभागों के मुख्य निगरानी पदाधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।
राज्य सरकार की इस पहल से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध बिहार अब और अधिक सख्त रुख अपनाने को तैयार है। डिजिटल निगरानी प्रणाली और समयबद्ध कार्रवाई से जनहित योजनाओं में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित किए जाएंगे।


