जमुई में एक डॉक्टर साहब ठगी के शिकार हो गये हैं। साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट करके उनसे 15 लाख रुपये की ठगी कर ली। डॉक्टर साहब समस्या से बचने के चक्कर में खुद दलदल में फंस गये। साइबर ठग ने डॉक्टर को कॉल करते हुए कहा कि हैलो मैं मुंबई पुलिस बोल रहा हूं। आप गंदा फोटो भेज रहे हैं। लड़की को वीडियो कॉल कर रहे हैं। इतना सुनते ही डॉक्टर काफी डर गये और साइबर ठगों के बिछाये जाल में फंस गये।
खुद को मुम्बई पुलिस बता वारंट होने का भय दिखाकर गिरफ्तारी से बचने के लिए साइबर अपराधी ने सिकंदरा निवासी मिश्री प्रसाद शर्मा के पुत्र रिटायर्ड चिकित्सक डॉ. कैलाश प्रसाद शर्मा से 15 लाख रुपये की ठगी कर ली। साथ ही और पैसा भेजने का दबाव बनाने लगा। पैसा नहीं देने पर ईडी और सीबीआई की भी धमकी देने लगा। जब डॉक्टर साहब को ठगी का एहसास हुआ तब पीड़ित रिटायर्ड चिकित्सक डॉ. कैलाश प्रसाद शर्मा ने साइबर थाने में आवेदन देकर मुकदमा दर्ज कराया।
वहीं डॉक्टर कैलाश प्रसाद शर्मा ने बताया कि दो अलग-अलग अकाउंट में 11 लाख और 4 लाख रुपया भेजा गया था। उनके मोबाइल पर एक कॉल आया और कहा गया कि आपके सिम से किसी दूसरे नंबर पर लड़की का फोटो भेजा जा रहा है। लड़की को वीडियो कॉल भी किया जा रहा है। साथ ही विदेश से अवैध सामान भी मंगवाया जा रहा है। इतना ही नहीं मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला आप पर चल रहा है। कुल 17 अपराधिक मामले मुंबई थाने में आपके नाम से दर्ज हैं और वारंट भी जारी हो चुका है।
यदि गिरफ्तारी से बचना है तो जैसा हम कह रहे हैं वैसा करना होगा। इतना सुनते ही डॉक्टर साहब घबरा गये और खुद को बचाने के चक्कर में दलदल में फंस गये। वो पूरी तरह साइबर फ्रॉड के चंगूल में आ गये। जिसके बाद आधार कार्ड और पासबुक व्हाट्सअप पर मांगा गया। फिर साइबर अपराधी ने विकास अनंता के नाम से फेडरल बैंक का एकाउंट नंबर भेजा और कहा कि जितना पैसा है वो सब ट्रांसफर करें। डॉक्टर साहब ने दिये गये अकाउंट नंबर पर आरटीजीएस के माध्यम से 11 लाख रुपया ट्रांसफर कर दिया इसके बाद सिटी यूनियन बैंक जोधपुर शाखा के एकाउंट में जो हितेश कुमार के नाम पर है उसमें भी चार लाख रुपया भेज दिया।
इतना ही नहीं उसके बाद भी और पैसे की डिमांड करते हुए ईडी और सीबीआई का छापा पड़ने की धमकी देने लगा। जिसके बाद पीड़ित डॉक्टर ने आनलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज कराई। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुटी है। इस पूरे मामले पर जमुई एसपी मदन कुमार आनंद ने बताया कि साइबर फ्रॉड के लिए 1930 नंबर पर कॉल करना चाहिए था। अगर उन्होंने कॉल किया होता तो उन्हें रिस्पांस जरूर मिली होगी। हम लोगों को उन्होंने सूचना नहीं दिया यदि सूचना दिए होते तो ऐसी घटना नहीं होती। उनसे 15 लाख रुपये की ठगी नहीं होती।
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