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झारखण्ड के गोड्डा जिले में सुंदरपहाड़ी प्रखंड के छह गांवों में 100 से भी ज्यादा बच्चे ब्रेन मलेरिया और प्लाज्मोडियम मलेरिया से संक्रमित पाए गए हैं। सभी संक्रमित पहाड़िया नामक आदिम जनजाति समुदाय के हैं। वहीं पिछले एक हफ्ते में सात बच्चों की मौत और बड़ी संख्या में संक्रमितों की पहचान के बाद स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने सघन चेकिंग अभियान शुरू कर दिया है। साथ ही संथाल परगना के आयुक्त और जिले के उपायुक्त ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति की जानकारी ली है।

16 गांवों में लगाया गया कैंप

बता दें कि यह इलाका मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्वाचन क्षेत्र बरहेट के अंतर्गत आता है। बुधवार और गुरुवार को प्रखंड के 16 गांवों में बीमारी के मास सर्वे के लिए कैंप लगाया गया है। प्रभावितों को दवाइयां, मेडिकेटेड मच्छरदानी और चिकित्सा किट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अभियान के लिए कुल 15 मेडिकल टीमों का गठन किया गया है। बुधवार को इन गांवों में लगाए गए कैंपों में कुल 233 मरीजों की जांच की गई। इनमें से 88 ब्रेन मलेरिया से संक्रमित पाए गए। आठ बच्चों में पीवी (प्लाज्मोडियम) मलेरिया के लक्षण पाए गए। गुरुवार को भी कई मरीजों की पहचान की गई है। गांवों में बीमारी फैलने की सूचना सबसे पहले विश्व आदिवासी अखिल एभोन संगठन के संजय किस्कू द्वारा जिला प्रशासन को दी गई।

सात बच्चों की हुई मौत

संगठन की सूचना के मुताबिक जोलो और बैरागो गांव में 14 नवंबर से 21 नवंबर तक पांच बच्चों की मौत हुई है, जबकि डांडो और सारमी में भी दो बच्चों की जान बीमारी से चली गई है। सभी मृतकों की उम्र 10 वर्ष से कम थी। सबसे ज्यादा संक्रमित जोलो, बैरागो, सारमी, सिदलेर, डांडो, तिलयपाड़ा आदि गांवों में पाए गए हैं। बताया गया है कि मरीजों की आयु वर्ग के अनुसार बच्चों के साथ-साथ बड़ों को मलेरिया रोधी दवाएं दी गईं। जिनमें मलेरिया के लक्षण नहीं मिले उन्हें भी प्रोफाइलैक्सिस दवाएं दी गईं। मलेरिया प्रभावित लोगों को पौष्टिक भोजन के लिए मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना अंतर्गत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

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