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राज्य में जल संरक्षण और बाढ़ प्रबंधन की दिशा में अहम पहल: ‘वाटर एटलस’ बना प्रमुख साधन

ByKumar Aditya

मई 27, 2025
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पटना, 27 मई 2025:राज्य में जल संरक्षण, आर्द्रभूमि सुरक्षा और बाढ़ प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में ‘गजेटियर-कम-एटलस ऑफ वाटर बॉडीज’ सामने आया है। मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा की अध्यक्षता में आज आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में इसकी उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा हुई।

जल संरक्षण के लिए बहुपयोगी दस्तावेज:
बैठक में अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2020 से इस एटलस के निर्माण पर कार्य हो रहा था और हाल ही में इसका विमोचन किया गया है। यह दस्तावेज न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि कांवर झील (बेगूसराय), नागी झील और नकटी झील (जमुई) जैसी रामसर साइट्स के संरक्षण में भी कारगर होगा। साथ ही यह बाढ़ प्रबंधन और आर्द्रभूमि पुनरुत्थान के लिए भी एक प्रभावी साधन बनेगा।

विभागीय समन्वय और बहुउपयोगिता:
ग्रामीण विकास, पर्यटन, जल संसाधन और पर्यावरण विभाग जैसे कई विभाग इस एटलस की सहायता से योजनाएं बना सकेंगे। जल्द ही ब्लॉक स्तर के मानचित्र भी तैयार कर जिलों को सौंपे जाएंगे। किसी विशेष जरूरत पर आधारित डाटा संशोधन की भी व्यवस्था रहेगी।

जिला गजेटियर निर्माण की योजना:
बैठक में पूर्णिया और कोशी प्रमंडल के सात जिलों — पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल और मधेपुरा — के जिला गजेटियर की पांडुलिपि निर्माण पर भी चर्चा हुई। इसके लिए इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट, नई दिल्ली का सहयोग लिया जा रहा है।

जिला गजेटियर किसी क्षेत्र की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विशेषताओं को दस्तावेज करने का अहम माध्यम होता है। इसके निर्माण के लिए राज्य स्तर पर एक सलाहकार समिति बनाई गई है, जिसमें इतिहास, भूगोल, पर्यावरण, पुरातत्व और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं।

स्थानीय स्तर पर सहभागिता:
अपर मुख्य सचिव ने संबंधित समाहर्त्ताओं को निर्देश दिया कि वे अपने जिले में भी इसी प्रकार की स्थानीय सलाहकार समितियाँ गठित करें। इसके तहत शिक्षाविदों, पत्रकारों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों से भी जानकारियाँ एकत्र की जाएँगी, जिनकी पुष्टि सरकारी अभिलेखों से की जाएगी।

एक वर्ष के भीतर प्रकाशन का लक्ष्य:
राजस्व विभाग का लक्ष्य है कि आगामी एक वर्ष के भीतर इन सात जिलों के गजेटियर प्रकाशित कर दिए जाएँ।

बैठक में ये अधिकारी रहे मौजूद:
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव, सचिव, विशेष सचिव, अन्य विभागों के प्रधान सचिव, निदेशक, और संबंधित जिलों के जिलाधिकारी एवं अपर समाहर्त्ता (राजस्व) उपस्थित रहे।


 

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